Monday, June 30, 2025

South African Gold Mine Rescue Video Update | Stilfontein Mine | साउथ अफ्रीका की खदान में 100 मजदूरों की मौत: 2 महीने से फंसे थे 400 मजदूर, भूख और प्यास से गई जान

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जोहान्सबर्ग2 मिनट पहले

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साउथ अफ्रीका में पिछले 2 महीनों से सोने की खदान में फंसे 100 से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक खदान में 400 से ज्यादा मजदूर मौजद थे। ये सभी खदान में अवैध रूप से सोने की खुदाई करने के लिए उतरे थे।

मौके पर राहत बचाव के लिए स्पेशल माइनिंग रेस्क्यू टीम को भेजा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भूख और प्यास की वजह से मजदूरों को अपनी जान गवांनी पड़ी है। अब तक 9 शव बरामद हो चुके हैं। कई लोगों को बाहर निकाल लिया गया है।

खदान में काम करने वालों मजदूरों से जुड़ी सामाजिक संस्था माइनिंग अफेक्टेड कम्युनिटीज यूनाइटेड इन एक्शन (MACUA) के मुताबिक पिछले साल पुलिस ने अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद से ये मजदूर खदान में फंसे थे।

तस्वीर स्टिलफोंटेन की सोने की खदान की है।

पुलिस ने खदान की रस्सियों को हटाया था

पुलिस ने पिछले साल नवंबर में इस खदान को सील करने की कोशिश की थी। इसके लिए मजदूरों से बाहर निकलने के लिए कहा था। हालांकि गिरफ्तारी के डर के मजदूरों ने खदान से बाहर निकलने से मना कर दिया था।

MACUA के मुताबिक मजदूरों के मना करने के बाद पुलिस ने खदान में अंदर जाने और बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल होने वाली रस्सी और पुली को हटा दिया था। इसके बाद मजदूर खदान में फंसे रह गए।

साउथ अफ्रीकी अखबार संडे टाइम्स के मुताबिक रेस्क्यू टीम ने एक पिंजरा तैयार किया है जिसे खदान में 3 किमी नीचे उतारा जा रहा है। इस पिंजरे के मदद से बचे हुए लोगों को पहले बाहर निकाला जा रहा है।

इस ऑपरेशन में करीब 16 दिन का समय लग सकता है।

मौके पर 100 से ज्यादा राहत और बचावकर्मी मौजूद हैं।

4 चरणों में की जाती है गोल्ड की माइनिंग

पहली स्टेज- सोने की खदान को खोजना

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक किसी जगह सोने का भंडार मिलने के बाद भी उसकी माइनिंग में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए टाइम, फाइनेंशियल रिसोर्स और कई एक्सपर्ट्स की जरूरत होती है।

गोल्ड रिजर्व के शुरुआती साक्ष्य मिलने के बाद आगे माइनिंग करने की संभावना 1% से भी कम होती। यही वजह के दुनिया में मौजूद गोल्ड खदानों में से सिर्फ 10% में ही माइनिंग के लिए पर्याप्त सोना है।

एक बार जब यह तय हो जाता है कि सोना निकालने के लिए माइनिंग की जा सकती है तो इसके लिए डिटेल में मॉडल तैयार किया जाता है। इस पूरी प्रोसेस में 1 से लेकर 10 साल तक का वक्त लग सकता है।

दूसरी स्टेज- सोने की खदान को डेवलप करना

एक बार जब यह तय हो जाता है किसी खदान में गोल्ड की माइनिंग की जा सकती है, तो आगे की खुदाई के लिए खदान को डेवलप किया जाता है। माइनिंग कंपनियां खुदाई की प्रोसेस शुरू करने से पहले परमिट और लाइसेंस के लिए अप्लाई करती हैं। आम तौर पर इस पूरी प्रोसेस में कई साल लग सकते हैं।

कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद माइनिंग कंपनियां काम करने वाले वर्कर्स के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करती हैं। इस पूरी प्रोसेस में 1 से 5 साल तक का वक्त लग सकता है।

तीसरी स्टेज- गोल्ड माइनिंग

गोल्ड माइनिंग में तीसरी स्टेज सबसे महत्वपूर्ण होती है। आमतौर पर गोल्ड अयस्क के साथ मिलता है। इस स्टेज में अयस्क से सोना अलग किया जाता है। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमत, माइनिंग की कॉस्ट और सोने की शुद्धता जैसे कई फेक्टर असर डालते हैं।

टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट की वजह से माइनिंग की प्रोसेस आसान हुई है। खदानों को अब टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर ही डेवलप किया जा रहा है। इस सारी प्रोसेस में 10 से 30 साल का वक्त लग सकता है।

चौथी स्टेज- खदान को बंद करना

माइनिंग की प्रोसेस खत्म होने के बाद कंपनियों को खदान को बंद करने में 1 से लेकर 5 साल तक का वक्त लग सकता है। यह काफी मुश्किल प्रोसेस होती है। इस दौरान कंपनियां खदान को बंद करके इलाके की साफ सफाई करती हैं और पौधे लगाती हैं। खनन कंपनी को खदान बंद होने के बाद भी लंबे समय तक खदान की निगरानी करनी होती है।

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