भुवनेश्वर17 मिनट पहले
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ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने पश्चिम बंगाल सरकार से दीघा मंदिर को जगन्नाथ धाम का नाम न देने की मांग की। सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के सीएम को लेटर लिख इस पर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
दरअसल, हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यज्ञ-हवन और पूजा की और दीघा मंदिर को जगन्नाथ धाम बताया था।
लोगों ने दीघा में मंदिर की स्थापना पर खुशी जाहिर की, लेकिन उन्होंने इसके साथ धाम शब्द जोड़ने का कड़ा विरोध किया।
कई हिंदू पंडितों, शोधकर्ताओं, सेवकों और विद्वानों ने दीघा जगन्नाथ मंदिर को ‘धाम’ नाम दिए जाने पर विरोध जताया है।
वहीं, सैंड आर्टिस्ट और पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।
सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को लेटर लिखा। इसमें उन्होंने कहा-
ओडिशा के CM से कार्रवाई की मांग की
सुदर्शन पटनायक ने CM माझी से मामले में पश्चिम बंगाल सरकार से बात करने और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया।
पटनायक ने उस रिपोर्ट का जिक्र किया, जिसमें दीघा मंदिर के उद्घाटन में भाग लेने वाले पुरी मंदिर के कुछ सेवकों ने दावा किया है कि भगवान जगन्नाथ की पत्थर की मूर्ति में ब्रह्मा को स्थापित किया गया है।
पटनायक ने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन के साथ अपना लेटर शेयर किया और राज्य सरकार से पूरी जांच करने की मांग की। साथ ही ब्रह्मा शब्द और जगन्नाथ धाम नाम के उपयोग को स्पष्ट करने के लिए कहा।
पीटीआई से बात करते हुए सुदर्शन पटनायक ने कहा, ‘मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह दीघा स्थित मंदिर को धाम के रूप में पेश करने के लिए भगवान जगन्नाथ के लाखों भक्तों से माफी मांगें।’
वहीं, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य माधब महापात्र ने बनर्जी से अपील की कि वह झूठा दावा करने से बचें। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जगन्नाथ धाम और सनातन धर्म के खिलाफ एक बुरी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।
वरिष्ठ सेवक रामचंद्र दास मोहपात्र ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने भगवान जगन्नाथ के पुरी पीठ को धाम का दर्जा दिया था। उन्होंने कहा, ‘दीघा धाम कैसे बन सकता है? दुनिया भर में जगन्नाथ मंदिर के सभी स्थान धाम नहीं हैं। कृपया लोगों को गुमराह न करें।’
श्री जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रियदर्शन पटनायक ने भी ममता बनर्जी पर प्रहार किया और उनसे बंगाल के लोगों को गुमराह न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा-
ममता दीदी को बंगालियों को गुमराह नहीं करना चाहिए। बंगाली लोग जानते हैं कि क्या है और उन्हें गुमराह करना मुश्किल है।
तस्वीरों में देखिए दीघा का जगन्नाथ मंदिर…
जगन्नाथ मंदिर जहां बना है, वह दीघा बंगाल की बीच सिटी है। मंदिर की नक्काशी कलिंग शैली में है।
मंदिर में विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंदिर (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं।
मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद, अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इसके ठीक सामने व्याघ्र द्वार है।
हर दरवाजे के पास सीढ़ियां और छतरी बनी है। हर दरवाजे को शंख, चक्र, कमल से सजाया गया है।
मंदिर के शिखर पर पुरी की तरह हर रोज ध्वज परिवर्तन भी किया जाएगा।
ममता ने कहा था- ओडिशा हर कोई नहीं जा सकता, इसलिए बंगाल में भी ऐसा मंदिर होना चाहिए।
20 से 22 एकड़ में फैले इस मंदिर में दीप स्तंभी बनाए गए हैं।
बंगाल की CM ममता बनर्जी एक दिन पहले ही महायज्ञ में शामिल होने पहुंच गई थीं।
दीघा की सड़कों को नीली और सफेद रोशनी से सजाया गया था।
हर साल रथयात्रा भी होगी
बंगाल सरकार मंदिर के उद्घाटन के बाद सालाना रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रही है। दीघा में पहली ऐसी यात्रा जून में आयोजित होने की संभावना है। यात्रा में इस्तेमाल होने वाले रथ पहले ही बनाए जा चुके हैं और उन्हें तैयार रखा गया है। दीघा पुरी से करीब 350 किलोमीटर दूर है।
3 साल में बनकर तैयार हुआ जगन्नाथ मंदिर
2018 में घोषणा हुई थी कि मंदिर का निर्माण 2022 में शुरू होगा। जगन्नाथधाम का विकास हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) द्वारा किया गया है। राज्य सरकार ने इसपर करीब 250 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसका पूरा मैनेजमेंट इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) को सौंपी जाएगी।
जगन्नाथ के दीघा मंदिर की खासियत
- पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह, दीघा के मंदिर भी चार मंडप (हॉल) बनाए गए हैं। इनके नाम- विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंदिर (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं।
- दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियां पुराने पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाई गई हैं, लेकिन ये पत्थर से बनी हैं।
- चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद, अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इसके ठीक सामने व्याघ्र द्वार है। हर दरवाजे के पास सीढ़ियां और छतरी बनी है।
- हर दरवाजे को शंख, चक्र और कमल से सजाया गया है। मंदिर के गुंबद से लेकर हर दरवाजे पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई गई है।
- पुरी मंदिर की तरह, दीघा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर हर शाम झंडा फहराया जाएगा।
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पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का आज उद्घाटन हुआ। मंदिर में देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यज्ञ-हवन और पूजा के लिए मंगलवार को ही दीघा पहुंच गई थीं। पूरी खबर पढ़ें…