Thursday, June 26, 2025

Digha temple dispute, Odisha government Bengal Digha Jagannath Dham Name Controversy | Odisha Puri Devotee | नवकलेवर अनुष्ठान की लकड़ी दीघा मंदिर को देने का आरोप: ओडिशा सरकार ने पुरी मंदिर से जांच को कहा; मंत्री बोले- धार्मिक भावनाएं आहत हुईं

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भुवनेश्वर12 मिनट पहले

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पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में ममता बनर्जी ने 30 अप्रैल को जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ नाम दिया गया है।

पश्चिम बंगाल सरकार के दीघा मंदिर विवाद के बीच ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) से मामले की जांच करने को कहा।

मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के सेवक दीघा मंदिर के समारोह में शामिल हुए थे। उन्होंने मूर्तियां बनाने के लिए मंदिर को 2015 के नवकलेवर से बची नीम की लकड़ी दी।

नवकलेवर हर 12 या 19 साल में होने वाला अनुष्ठान है। इसमें पुरी के मंदिर में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्तियां बदली जाती हैं।

इसके अलावा पुजारियों, भक्तों, विद्वानों और पंडितों ने दीघा मंदिर को पश्चिम बंगाल सरकार के ‘जगन्नाथ धाम’ कहे जाने पर भी आपत्ति जताई है।

मंत्री ने अपनी चिट्ठी में लिखा, ‘इस घटना ने श्रद्धालुओं और ओडिशा के 4.5 करोड़ लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।’

बंगाल की CM ममता बनर्जी 29 अप्रैल को ही महायज्ञ में शामिल होने दीघा पहुंच गई थीं।

दीघा मंदिर के लिए मूर्तियां पुरी से गईं

दीघा मंदिर को लकड़ी देने का आरोप रथ यात्रा में भगवान की सेवा करने वाले सेवकों के एक समूह दैतापति निजोग के सचिव रामकृष्ण दासमोहपात्रा पर लग रहा है।

मामले में दासमोहपात्रा ने कहा, ‘मैं अपनी शिष्या ममता बनर्जी के निमंत्रण पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में गया था। लेकिन मैंने कभी नहीं कहा कि पुरी मंदिर की लकड़ी का इस्तेमाल दीघा में मूर्ति बनाने के लिए किया गया।’

पुरी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दासमोहपात्रा ने कहा, ‘मैंने दीघा मंदिर के अधिकारियों से कहा था कि भगवान जगन्नाथ की पत्थर की मूर्तियों की पूजा नहीं की जा सकती। इसके बाद प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए मैं यहां से नीम की लकड़ी की मूर्ति ले गया।’

उन्होंने कहा, ‘मैंने किसी टेलीविजन चैनल से इस बारे में बात नहीं की है। मैंने ब्रह्मा की स्थापना के बारे में भी कुछ नहीं बताया है। मैंने मूर्ति पर ऐसी कोई सामग्री भी नहीं रखी है। मैंने पूजा के दौरान निर्धारित प्रक्रियाओं की निगरानी की।’

‘ब्रह्मा’ एक ऐसा पदार्थ है जिसे भगवान जगन्नाथ की आत्मा माना जाता है। इसे नवकलेवर अनुष्ठान के दौरान पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में स्थापित किया जाता है। दासमोहपात्रा ने दीघा जगन्नाथ मंदिर से धाम शब्द हटाने की भी मांग की।



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