नई दिल्ली4 मिनट पहले
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निशिकांत दुबे ने कहा था कि देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उसके जिम्मेदार केवल चीफ जस्टिस संजीव खन्ना हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में सुप्रीम कोर्ट और CJI संजीव खन्ना पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए दुबे पर अवमानना कार्यवाही करने की मांग की गई थी।
CJI ने कहा- हमारे कंधे मजबूत हैं, हम याचिका पर विचार नहीं करना चाहते हैं। बैंच ने याचिकाकर्ता विशाल की दलीलों पर कहा कि हम फिलहाल कोई दलील या बहस नहीं सुनना चाहते लेकिन हम एक शॉर्ट ऑर्डर पास करेंगे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह अदालत और जजों की गरिमा का सवाल है। याचिका में विशाल तिवारी ने निशिकांत दुबे के बयान को कोर्ट के लिए अपमानजनक और निंदनीय बताते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग की।
अपने एक बयान में निशिकांत दुबे ने कहा था कि देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उसके जिम्मेदार केवल चीफ जस्टिस संजीव खन्ना हैं और धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए केवल सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है।
निशिकांत दुबे- धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार
निशिकांत दुबे ने 19 अप्रैल को कहा था- देश में गृह युद्ध के लिए CJI संजीव खन्ना और धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। दुबे सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रपति को विधेयकों पर फैसला लेने के लिए समय सीमा तय करने के फैसले पर बात कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को आदेश दिया था कि किसी बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा।
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके दुबे के बयानों को आपराधिक अवमानना के दायरे में लाने की मांग की थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने लेटर पिटिशन दायर कर स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर और शिवकुमार त्रिपाठी ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिखकर आपराधिक अवमानना कार्यवाही की शुरू करने की अनुमति मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हुआ था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस (CJI) के खिलाफ दिए भाजपा सांसद के बयानों के वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने की मांग की गई थी। मामला जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजे मसीह की बेंच के सामने तुरंत सुनवाई के लिए रखा गया था।
भाजपा ने दुबे के बयान से किनारा कर लिया था
निशिकांत दुबे के बयान पर नड्डा ने X पोस्ट में लिखा था- भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है। पार्टी ने कोर्ट के आदेशों और सुझावों को स्वीकार किया था।
जानिए निशिकांत के बयान पर विपक्ष का रिएक्शन
- कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था, जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने जो किया है वह असंवैधानिक है।
- कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा था, अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत पर सवाल उठाता है तो यह बहुत दुख की बात है। हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का होता है। अगर कोई यह बात नहीं समझता है तो यह बहुत दुख की बात है।
- AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा था, उन्होंने (निशिकांत दुबे) बहुत घटिया बयान दिया है। मुझे उम्मीद है कि कल ही सुप्रीम कोर्ट भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगा और उन्हें जेल भेजेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक कुमार गांगुली ने कहा था , संविधान के अनुच्छेद 53 के अनुसार राष्ट्रपति को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए, अगर ऐसा नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को निर्देश दे सकता है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को यह समझने की जरूरत है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।