Friday, June 27, 2025

Kavita Seth and kanishk seth rangi saari song | ‘संगीत के बिना हमारी जिंदगी का मतलब नहीं’: कॉकटेल, केसरी-2 जैसी फिल्मों में हिट गाने देने वाली मां-बेटे की जोड़ी ने बताया- जल्द लाएंगे मेडिटेशनल एल्बम

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1 घंटे पहलेलेखक: हिमांशी पाण्डेय

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कविता सेठ न सिर्फ गजल और सूफी संगीत के लिए मशहूर हैं, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड में भी कई हिट गाने गाए हैं। उनके गीत मौला, मुझे मत रोको और तुम्ही हो बंधु आज भी दर्शकों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। वहीं, उनके बेटे कनिष्क सेठ का संगीत भी युवा पीढ़ी के बीच खासा लोकप्रिय है। मां-बेटे की इस जोड़ी ने साथ मिलकर कई गाने गाए और तैयार किए हैं। इन्हीं में से कुछ मशहूर गाने हैं रंगी सारी और खुमारी (केसरी 2)। हाल ही में कविता सेठ और कनिष्क सेठ ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की।

आप दोनों की जिंदगी में संगीत का क्या महत्व है?

जवाब/कविता- मुझे लगता है कि संगीत के बिना हमारी जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हमारी बातचीत का विषय लगभग हमेशा संगीत ही होता है। मेरा तो वजूद ही संगीत से जुड़ा है। कोविड के दौरान जब न तो शोज हो रहे थे और न ही कोई परफॉर्मेंस का मौका था, तब भी हम लगातार रिहर्सल करते रहे। उस वक्त कई बार ये ख्याल आता था कि अगर कभी संगीत ही नहीं रहा, तो मैं क्या करूंगी। सच कहूं तो, मुझे संगीत के अलावा और कुछ आता ही नहीं है।

जवाब/कनिष्क – सच कहूं तो मैं, मां और मेरा भाई, हम तीनों ही संगीत के बिना अपना वजूद नहीं सोच सकते। मैं तो बचपन से ही संगीत के माहौल में पला-बढ़ा हूं। लेकिन मां की कहानी थोड़ी अलग हैं। उनके परिवार में कोई और संगीत से जुड़ा नहीं था, फिर भी उनमें संगीत को लेकर गहरी लगन थी। वो हमेशा चाहती थीं कि और ज्यादा सीखें। हमने यानी मैंने और मेरे बड़े भाई ने बचपन से ही घर में संगीत को देखा है। यही वजह है कि हमारे लिए संगीत के बिना जिंदगी की कल्पना भी मुमकिन नहीं है।

संगीत के प्रति रुचि कब जागी? क्या सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा के कारण आपने संगीत को अपनाया?

जवाब/कनिष्क- संगीत की दुनिया में कदम रखने का श्रेय मैं अपने माता-पिता को ही देना चाहूंगा। शुरुआत में मां-पापा की ओर से मुझे संगीत की ओर प्रेरित किया गया। सबसे पहले मैंने वायलिन सीखना शुरू किया, उसके बाद वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक और म्यूजिक प्रोडक्शन की ट्रेनिंग ली।

बचपन में मेरा मन अक्सर खेलकूद में ज्यादा लगता था। जैसे ही शाम के पांच बजते, मेरा मन खेलने जाने को करता था। लेकिन एक दिन अचानक संगीत को लेकर मेरे भीतर एक अलग ही भाव जागा। जब मैंने पहली बार अपनी खुद की एक धुन बनाई, तो महसूस हुआ कि संगीत एक बहुत ही खूबसूरत और जादुई चीज है। उस पल ने मेरी सोच बदल दी। उसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, और तभी से मेरा यह संगीत-सफर शुरू हुआ, जो आज भी जारी है।

पति के असमय निधन के बाद बच्चों की परवरिश करना आपके लिए कितना कठिन रहा?

जवाब/कविता- वो समय मेरे लिए बहुत मुश्किल भरा था। दोनों बच्चे बहुत छोटे थे। हालांकि फाइनेंशियल तौर पर मुझे कोई परेशानी नहीं आई, क्योंकि मैं भी कमाती थी। लेकिन जिम्मेदारियां एक साथ बहुत ज्यादा हो गईं। बच्चों की पढ़ाई, घर की देखभाल, करियर पर ध्यान देना और साथ ही लोन चुकाना। सब कुछ एक साथ करना आसान नहीं था। एक पल को लगा जैसे कोई पहाड़ टूट पड़ा हो।

लेकिन धीरे-धीरे मैंने खुद को संभाला। उस कठिन समय ने मुझे सिखाया कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, अगर हम उन्हें पॉजिटिव लेते हैं, तो वही अनुभव हमें और भी मजबूत बना देता है।

आज के दौर में आप सूफी संगीत को किस तरह से देखती हैं?

जवाब/कविता- आज के समय में जो माहौल है, उसमें मुझे लगता है कि सूफी संगीत ही वह माध्यम है जो सच्चे लोगों को सुकून दे सकता है। जब मन में बेचैनी और उलझनें होती हैं, तो यह संगीत उन्हें शांत कर देता है। आप अपनी सारी परेशानियां और दुख-दर्द भूल जाते हैं। फिर चाहे आप इसे एक घंटे सुनें या लगातार छह घंटे समय का पता ही नहीं होता। मुझे नहीं लगता कि संगीत की दुनिया में सूफी संगीत से ज्यादा शक्तिशाली कोई और रूप हो सकता है।

सूफी संगीत और आज के बॉलीवुड साउंडट्रैक को किस तरह मिलाकर एक नई धुन तैयार करते हैं?

जवाब/कनिष्क- मैंने कभी म्यूजिक बनाने की ट्रेनिंग नहीं ली। एक दिन मैं यूं ही धुन बना रहा था, तभी मां ने मुझे देख लिया। फिर उन्होंने अमीर खुसरो साहब की एक कविता गाई और मैंने उसी पर एक धुन तैयार की। वह धुन उस रचना पर बिल्कुल सटीक बैठी। इसके बाद मां ने मुझसे कहा था हमें साथ में एक एल्बम बनानी चाहिए। तभी मैंने सोचा कि क्यों न सूफी संगीत और इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक को जोड़ा जाए। धीरे-धीरे मुझे यह समझ में आया कि दोनों की बीट्स को बराबर संतुलन में रखना जरूरी है। ऐसा न हो कि एक शैली दूसरी पर हावी हो जाए। और यही मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज था। फिर हमने कोविड टाइम में रंगी सारी सॉन्ग बनाया था।

केसरी 2 में जो सॉन्ग ‘खुमारी’ गया है, उसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब/कविता- केसरी 2 में जो गाना गाया गया है, वह वास्तव में एक गजल है। जिसे मैंने और कनिष्क ने मिलकर कंपोज किया है। कनिष्क ने जिस तरह से उस गाने को तैयार किया, वह वास्तव में शानदार था। जब उसकी वीडियो आई, जिसमें मसाबा ने डांस किया, तो वह भी काबिल-ए-तारीफ था। मेरे ख्याल से वह पोएट्री और गायकी का सबसे बेहतरीन संयोजन था।

जवाब/कनिष्क- ‘खुमारी’ एक बहुत ही यूनिक सॉन्ग है। जब आप गजल सुनते हैं, तो आपके दिमाग में सबसे पहले गजल के महान कलाकारों का नाम आता है। हमारी दोनों की कोशिश है कि हम अलग-अलग बीट्स को साथ लेकर आएं और उसे एक नई दिशा में आगे बढ़ाएं।

आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताना चाहेंगे?

जवाब/कविता- आने वाले समय में दर्शकों के लिए बहुत कुछ खास आने वाला है। मेडिटेशनल एल्बम पूरी हो चुकी है, जिसे जल्द ही रिलीज किया जाएगा। कनिष्क ने ‘रॉयल्स’ वेब सीरीज के लिए एक गाना न केवल कंपोज किया है, बल्कि उसे गाया भी है।

जवाब/कनिष्क- मेडिटेशनल एल्बम के अलावा एक और प्रोजेक्ट पर काम जारी है, जिसमें ‘मां’ (कविता) ने ही गाया है और मैं उसे कंपोज कर रहा हूं। पुलकित सम्राट की फिल्म सुस्वागतम् खुशामदीद में भी मेरा एक गाना शामिल है। इसी साल धर्मा प्रोडक्शन की एक वेब सीरीज आने वाली है, जिसमें एक नज्म है जिसे मैंने प्रोड्यूस और कंपोज किया है।

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