टोक्यो और पेरिस ओलिंपिक में पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे ललित उपाध्याय ने 22 जून को इंटरनेशनल हॉकी से संन्यास ले लिया। सोशल मीडिया X पर अर्जुन अवार्डी ललित ने पोस्ट शेयर कर ये जानकारी दी। हालांकि, अभी वह घरेलू और लीग मैच खेलते रहेंगे। फिल
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ललित ने लिखा- आज मैं इंटरनेशनल हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा करता हूं। यह एक कठिन पल है, लेकिन हर खिलाड़ी को एक दिन इसका सामना करना पड़ता है। देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान और गर्व रहा है। आप सभी का दिल से धन्यवाद।
शुरुआती कोच परमानंद मिश्र को याद किया ललित उपाध्याय भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। उन्होंने कई इंटरनेशनल हॉली में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ओलिंपिक के दौरान टीम को जीत दिलाने में योगदान दिया। उनके संन्यास के साथ ही प्रशंसकों ने लिखा- भारतीय हॉकी के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया। साथियों ने ललित उपाध्याय के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।
यादगार करियर के लिए ललित उपाध्याय ने अपने अब तक के सफर में कोच परमानंद के साथ ही हरिंदर, समीर, धनराज आदि को मार्गदर्शक बताया है। शुरुआती कोच परमानंद मिश्र को याद किया। कहा कि उन्होंने शुरुआती दिनों में हॉकी खेलने में मदद की और मुझे यहां तक पहुंचाया।
ललित बोले- छोटे से गांव से शुरू हुआ सफर ललित ने X पर यह भी लिखा- मेरी यात्रा एक छोटे से गांव से शुरू हुई, जहां सीमित संसाधन थे, लेकिन सपने असीम थे। एक स्टिंग ऑपरेशन का सामना करने से लेकर ओलिंपिक पोडियम पर खड़े होने तक… एक बार नहीं, बल्कि दो बार यह चुनौतियों, विकास और अविस्मरणीय गौरव से भरा रास्ता रहा है। 26 साल बाद अपने शहर से ओलिंपियन बनना कुछ ऐसा है, जिसे मैं हमेशा सम्मान और कृतज्ञता के साथ अपने साथ रखूंगा।
दो बार ओलिंपिक में मेडल दिलाने वाले वाराणसी के खिलाड़ी हैं ललित ललित टोक्यो ओलिंपिक 2020 में देश को ब्रॉन्ज मेडल जिताने वाली इंडियन हॉकी टीम के सबसे अहम फॉरवर्ड प्लेयर थे। ब्रॉन्ज मेडल मिलने के बाद 2021 में ललित को खेल के क्षेत्र में प्रदान किए जाने वाला सर्वोच्च सम्मान अर्जुन अवार्ड भी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया था। इसके अलावा सीएम योगी ने लखनऊ में आयोजित समारोह में ललित उपाध्याय को 1 करोड़ रुपए का नकद पुरस्कार दिया था। इसके बाद ओलिंपिक पेरिस 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसमें भी ब्रॉन्ज मेडल भारत को दिलाया।
तस्वीर 2021 की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ललित उपाध्याय को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया था।
ललित 8 साल की उम्र में हॉली खेलने लगे थे साल 2001 में ललित ने आठ साल की उम्र में अपने भाई अमित के साथ बनारस के यूपी कॉलेज के मैदान में हॉकी खेलने जाना शुरू किया था। उस दौरान कॉलेज के साईं सेंटर में हॉकी कोच परमानंद मिश्रा ने ललित के अंदर के हॉकी खिलाड़ी को पहचान लिया। फिर तो उन्होंने ललित को हॉकी का हर वो स्किल सिखाने में दिन रात एक कर दिया जो एक बेहतरीन खिलाड़ी को आना चाहिए।
साल 2008 में तो इंडियन हॉकी टीम के कोच जोकिम कारवाल्हो ने ललित के खेल को देखकर कहा कि ‘ये तो शाहबाज सीनियर की तरह खेलता है।’ शाहबाज सीनियर पाकिस्तान के सबसे कामयाब हॉकी खिलाड़ी माने जाते हैं। वह कहते हैं कि कुआलालपुर और सिंगापुर के बाद महज 16 साल की उम्र में इंडिया कैंप में जब ललित खेलने गए तो लोग आश्चर्य में पड़ गए।
हॉकी इंडिया के चेयरमैन दिलीप टर्की और ओलिंपियन मोहम्मद शाहिद के साथ ललित उपाध्याय।
स्टिंग ऑपरेशन का शिकार हुए थे ललित 2008 में 17 साल की उम्र में, ललित का नवोदित करियर अचानक रुक गया, जब वह बिना किसी गलती के एक अनावश्यक घोटाले में फंस गए। एक टीवी चैनल के रिपोर्टर ने एजेंट के रूप में खुद को पेश करते हुए तत्कालीन भारतीय हॉकी महासंघ (IHF) के सचिव के. ज्योतिकुमारन को एक प्रायोजन सौदे की पेशकश की, बशर्ते कि उनकी पसंद का कोई खिलाड़ी भारतीय टीम में लिया जाए, और ललित का नाम एक प्रलोभन के रूप में लिया गया। ललित को इस तरह के किसी ‘सौदे’ के बारे में पता नहीं था। इस घटना से इतना आहत हुए कि उन्होंने हॉकी लगभग छोड़ ही दी थी।
ललित ने कहा था कि अगर ऐसा किसी अपरिपक्व लड़के के साथ होता है जो बड़े सपने लेकर टीम में आया है तो वह टूट जाएगा। हमने सिर्फ भारत के आठ ओलिंपिक पदक जीतने के बारे में सुना था। लेकिन, ऐसा हमारे सामने होते नहीं देखा था।
परिवार के साथ ललित उपाध्याय।
ललित बच्चों को हॉकी की फ्री ट्रेनिंग देते हैं ललित ज्यादातर समय अपने होम टाउन वाराणसी में ही रहकर प्रैक्टिस करते हैं और बच्चों को हॉकी की फ्री ट्रेनिंग भी देते हैं। ललित वाराणसी के शिवपुर के गांव भगतपुर के रहने वाले हैं। वह अब तक 210 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। 2017 में लक्ष्मण पुरस्कार और 2021 में अर्जुन अवार्ड दिया गया था। अर्जुन अवार्ड पाने वाले ललित वाराणसी के दूसरे हॉकी खिलाड़ी हैं। करीब 41 साल पहले वाराणसी के हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद को अर्जुन अवार्ड दिया गया था। वहीं, वाराणसी के मुहम्मद शाहिद, विवेक सिंह और राहुल सिंह के बाद ललित चौथे ओलिपिंयन के तौर पर अपना नाम शुमार करा चुके हैं।
ललित ने OSD का ऑफर ठुकराया, तब डिप्टी SP बनाए गए
ललित उपाध्याय यूपी पुलिस में DSP हैं। सीएम योगी ने उन्हें जॉइनिंग लेटर दिया था।
ललित उपाध्याय को यूपी में पुलिस उपाधीक्षक (DSP) पद पर नियुक्त किया गया है। तीन साल पहले CM योगी ने उन्हें लखनऊ स्थित आवास पर ’15वें पुरुष हॉकी विश्व कप’ अनावरण के दौरान नियुक्ति पत्र दिया। ललित कुमार ओलिंपिक में देश को हॉकी का ब्रांज मेडल दिला चुके हैं। ललित कुमार इससे पहले यूपी पुलिस में DSP के समकक्ष OSD का ऑफर ठुकरा चुके हैं।
OSD का पद अस्वीकार करते हुए ललित ने कहा था-
इस नौकरी में न तो यूपी पुलिस की यूनिफॉर्म मिलेगी और न ही प्रमोशन। मैं अभी BPCL में मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं। लिहाजा, अब मुझे DSP पद पर नियुक्त किया गया है। मुख्यमंत्री जी, मैं आपके खेल प्रेम और खेलों को हर संभव सहयोग और प्रोत्साहित करने के लिए आभारी हूं। इसके साथ ही अपने हाथों से मुझे उत्तर प्रदेश में पुलिस उपाधीक्षक पद पर नियुक्ति पत्र प्रदान करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद करता हूं।
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ये पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। पूरी घटना 11 जून की है, जिसका सीसीटीवी आज सामने आया है। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने इस मामले में दरोगा और कॉन्स्टेबल को सस्पेंड करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। मामला दीनू गैंग से जुड़ा है। पढ़ें पूरी खबर…