34 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
जापान ने 2017 में 9 लोगों की हत्या करने वाले एक शख्स ताकाहिरो शिराइशी को शुक्रवार को फांसी दी गई। पिछले 3 साल में पहली बार है, जब जापान में फांसी की सजा दी गई है। 34 साल का शिराइशी ट्विटर पर लोगों से संपर्क कर उनकी हत्या कर देता था। इसलिए उसका नाम ‘ट्विटर किलर’ रख दिया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शिराइशी ट्विटर पर उन लोगों को संपर्क करता था, जो मरने की चाहत रखते थे। इसके बाद वह उन्हें मदद का झांसा देकर अपने टोक्यो के पास स्थित अपार्टमेंट में बुलाता था। फिर वह उनकी गला घोंटकर हत्या कर देता। फिर उनके शव के टुकड़े करता, फिर अपने छोटे से फ्लैट में कूलर बॉक्स में छिपा कर रखता था।
उसके पीड़ितों में 9 से 8 महिलाएं थीं, जिनकी उम्र 15 से 26 साल के बीच थी। जापान के न्याय मंत्री कीसुके सुजुकी ने बताया कि उन्होंने बहुत सोच-समझकर फांसी की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि शिराशी के अपराध से पूरे समाज में दहशत फैल गई थी।
जापान में मौत की सजा के समर्थक ज्यादा
जापान और अमेरिका, G7 देशों में फांसी की सजा को बनाए रखने वाले इकलौते देश हैं। जापान में मौत की सजा फांसी पर लटकाकर दी जाती है और कैदियों को इसके बारे में कुछ घंटे पहले ही बताया जाता है। मानवाधिकार संगठन इसकी आलोचना करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि अचानक मौत की सूचना मिलने से कैदियों को गंभीर मानसिक दबाव झेलना पड़ता है।
न्याय मंत्री सुजुकी ने कहा कि जब तक इस तरह के खतरनाक अपराध होते रहेंगे, तब तक मौत की सजा खत्म करना सही नहीं होगा। फिलहाल जापान में 105 कैदी ऐसे हैं जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। 2024 में जापान सरकार के एक सर्वे में 83% लोगों ने मौत की सजा को ‘जरूरी’ बताया था।
2022 में तोमोहिरो काटो को फांसी दी गई थी, जिसने 2008 में टोक्यो के अकीहाबारा इलाके में ट्रक से भीड़ पर हमला कर 7 लोगों की हत्या की थी। 2018 में औम शिनरिक्यो संप्रदाय के गुरु शोको असहारा और उसके 12 अनुयायियों को फांसी दी गई थी। इस संप्रदाय ने 1995 में टोक्यो मेट्रो पर सरीन गैस हमला किया था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे और हजारों बीमार हुए थे।
अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…
केन्या में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिंसा: 16 की मौत, 400 घायल
केन्या में बुधवार को हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात बिगड़ गए। एमनेस्टी इंटरनेशनल केन्या ने बताया कि इन प्रदर्शनों में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हो गए।
ये प्रदर्शन पिछले साल जून में कर-विरोधी आंदोलन की सालगिरह के मौके पर निकाले गए थे, जब केन्याई सरकार के टैक्स बिल के खिलाफ देशभर में लोग सड़कों पर उतर आए थे। तब लोगों के गुस्से के चलते सरकार को बिल वापस लेना पड़ा था।
नैरोबी समेत मोम्बासा और कई शहरों में हजारों लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। नैरोबी में पुलिस ने संसद और राष्ट्रपति कार्यालय के रास्ते पर बैरिकेड लगाकर सुरक्षा कड़ी कर दी थी। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और गोलियां चलाईं।
सरकार ने टीवी और रेडियो चैनलों को इन प्रदर्शनों का लाइव प्रसारण रोकने का आदेश दिया। जब कुछ चैनलों ने यह आदेश नहीं माना, तो उनके प्रसारण को बंद कर दिया गया। बाद में नैरोबी की अदालत ने इस प्रतिबंध को निलंबित कर दिया, जिससे कवरेज फिर शुरू हो सका।
केन्या के कई नागरिक संगठनों और एमनेस्टी ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि लाइव कवरेज से पुलिस की ज्यादतियों पर नजर रखी जा सकती है और इससे जवाबदेही तय होती है। केन्या एडिटर्स गिल्ड ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया।