वरुण शर्मा | मुजफ्फरनगर1 मिनट पहले
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अमेरिकी सरकार द्वारा इंडिया में डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों में पीलभीत गुरप्रीत और मुजफ्फरनगर के रक्षित और देवेंद्र शामिल हैं। इंडिया में लैंड होने के बाद रक्षित और देवेंद्र तो घर पहुंच गए, पर गुरप्रीत को दिल्ली पुलिस ने डिटेन कर रखा है। उससे पूछताछ की जा रही है। परिजनों की उनसे बात नहीं हो पा रही है।
पीलीभीत का गुरप्रीत पूरनपुर कस्बे के बंजरिया गांव का रहने वाला है। वहीं मुजफ्फरनगर के रक्षित बालियान शाहपुर थाना क्षेत्र के रसूलपुर जाटान गांव के रहने वाले हैं। जिले के देवेंद्र सिंह पुरकाजी थाना क्षेत्र के मारकपुर गांव निवासी हैं। दैनिक भास्कर की टीम तीनों युवकों के गांव पहुंची। उनके परिजनों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट….
कहानी-1: मुजफ्फरनगर के देवेंद्र की जुबानी…
जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर है देवेंद्र सिंह का गांव मारकपुर।
भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर देवेंद्र सिंह के गांव मारकपुर पहुंचीं। यहां हमारी मुलाकात देवेंद्र सिंह से हुई। वह कुछ डरे हुए दिखाई दिए। पहले तो देवेंद्र कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। कुछ देर बाद खुद को संभालते हुए वह हमसे बात करने को तैयार हुए।
मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचे
अमेरिका की आपबीती सुनाते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। देवेंद्र ने बताया वह 29 नवंबर 2024 को भारत से थाईलैंड गए। फिर वियतनाम और चीन होते हुए साल्वाडोर पहुंचे। वहां से मेक्सिको के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश किया। लेकिन इस सफर में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
40 लाख रुपए लेकर माफिया ने छोड़ा
माफिया ने हमें अपने घरों में रखा। वो धीरे-धीरे पैसे मांगते रहे। माफियाओं ने 40 लाख रुपए की फिरौती लेकर उन्हें छोड़ा। यह रुपए उनके घर वालों ने हरियाणा के करनाल में बैठे एजेंट को भेजे। यहां से रुपए माफिया तक पहुंचाए गए।
देवेंद्र ने बताया, खाने के लिए केवल इतना ही दिया जाता है कि जिंदा रहा जा सकें।
15 फीट ऊंची दीवार पार करवा कर अमेरिका पहुंचाया
माफियाओं ने उन्हें 15 फीट ऊंची दीवार पार करवा कर अमेरिका में प्रवेश दिलाया। इसके बाद अमेरिकी सेना ने उन्हें पकड़ लिया। कैंप में बेहद खराब स्थिति होती है। खाने के लिए केवल इतना ही दिया जाता है कि जिंदा रहा जा सके। ठंड में केवल एक कपड़े में रहना पड़ा। पूछताछ के बाद उनके हाथ-पैरों में बेड़ियां डालकर उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया। बुधवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर लाया गया।
अब वह कभी वापस नहीं जाना चाहते
देवेंद्र ने बताया कि उनका सपना अमेरिका में नौकरी कर ट्रक चलाने का था, लेकिन अब वह कभी वापस नहीं जाना चाहते। वो कहते हैं, पहले अमेरिका में लोगों को बुलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें वहां से भगाया जा रहा है। यह सब अवैध तरीके से ही होता है, क्योंकि कानूनी तरीके से वहां पहुंचना बहुत मुश्किल है।
कहानी-2: मुजफ्फरनगर के रक्षित के पिता की जुबानी…
यह मुजफ्फरनगर के रसूलपुर जाटान गांव के रहने वाले रक्षित का घर है।
आज सुबह घर लौटा है मेरा बेटा
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर है रक्षित का रसूलपुर जाटान गांव। भास्कर की टीम जब रक्षित (20) के घर पहुंची तो हमारी मुलाकात उनके पिता सुधीर बालियान से हुई। वह आर्मी से रिटायर्ड हैं। वर्तमान में बिजली विभाग में संविदा कर्मचारी हैं।
उन्होंने मीडिया के सामने ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। सिर्फ इतना बताया कि उनका बेटा अक्टूबर 2024 में टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका गया था। आज सुबह 4 बजे घर लौटा है। रक्षित 12वीं पास है। उनके परिवार के पास कृषि भूमि भी है। वे खेती करते हैं। इतना कहने के बाद वे रोने लगे। कहा, मेरे बेटे ने बहुत तकलीफ झेली है। मुझमें हिम्मत नहीं अब कुछ बोलने की।
कहानी-3: पीलीभीत के गुरप्रीत की मां की जुबानी…
गुरप्रीत 2022 में पहले इंग्लैंड फिर वहां से अमेरिका गया।
गांव वालों ने इशारे से बताया गुरप्रीत का घर
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर जब दैनिक भास्कर की टीम बंजरिया गांव पहुंची तो गांव में चहल–पहल कम नजर आई। गांव के रास्ते में कुछ लोग मिले पर उन्होंने गुरप्रीत के बारे में बात करने से मना कर दिया। कहा, आप परिवार से ही बात करें तो बेहतर होगा। हमारी रिक्वेस्ट पर उन्होंने हमें गुरप्रीत के पास तक पहुंचा दिया। इशारे से गुरप्रीत का घर बताकर वे चले गए।
2022 में पहले इंग्लैंड गया फिर अमेरिका
गुरप्रीत की मां जसविंदर कौर ने बताया, गुरप्रीत सितंबर 2022 में पहले इंग्लैंड गया था। यहां से उसने डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की। डेढ़ महीने पहले उनके बेटे ने अमेरिका पहुंचने की सूचना दी थी। इसके बाद उनका संपर्क टूट गया। 3 भाइयों में सबसे छोटा गुरप्रीत अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेश गया था। उसका बड़ा भाई गुरदेव सिंह उर्फ गुरजीत भारतीय सेना में है।
गुरप्रीत को दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने में रोक रखा है।
परिवार ने 25 लाख खर्च कर लंदन भेजा
मां के अनुसार, स्थानीय एजेंट की मदद से 20-25 लाख रुपए खर्च कर गुरप्रीत को लंदन भेजा था, जहां वह फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहा था। काम में कठिनाइयों का सामना करने के बाद एक एजेंट ने उसे अमेरिका में बेहतर अवसर का लालच देकर मोटी रकम वसूली और अवैध तरीके से अमेरिका भेज दिया।
13 जनवरी को अमेरिकी बॉर्डर कंट्रोल ने उसे सीमा पार करते हुए पकड़ लिया। गुरप्रीत पंजाब में लैंड होने के बाद से दिल्ली पुलिस की पूछताछ में है, जबकि परिजन उससे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।
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