Thursday, June 26, 2025

Syria Civil War LIVE Video Update; Bashar al-Assad | Damascus News | सीरियाई राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे, सेना बोली- उनकी सत्ता खत्म: लोगों ने राष्ट्रपति भवन लूटा; टैंकों पर चढ़कर जश्न मना रहे विद्रोही

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दमिश्ककुछ ही क्षण पहले

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सीरिया के चार शहरों अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा पर विद्रोहियों का कब्जा हो चुका है।

सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग चुके हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सेना ने असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो चुकी है। सीरिया में पिछले 11 दिनों से विद्रोही गुटों और सेना के बीच कब्जे के लिए लड़ाई चल रही थी।

विद्रोही लड़ाकों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई PM ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है। PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा है कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे।

CNN की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। इनमें अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा शामिल हैं।

विद्रोही लड़ाके राजधानी दमिश्क में दारा शहर की तरफ से घुसे थे, जिस पर उन्होंने 6 दिसंबर को कब्जा किया था। दारा वही शहर है, जहां से 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई थी और पूरे देश में जंग छिड़ गई थी। दारा से राजधानी दमिश्क की दूरी करीब 100 किमी है। यहां स्थानीय विद्रोहियों ने कब्जा किया है।

वहीं, अलेप्पो, हमा और होम्स इस्लामी चरमपंथी ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम की गिरफ्त में है। संघर्ष की वजह से अब तक 3.70 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। हालांकि लोग असद सरकार के गिरने की खुशी मना रहे हैं। लोगों के सेना के टैंकों पर चढ़कर सेलिब्रेट करने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे से जुड़ी तस्वीरें…

दमिश्क में विद्रोहियों के घुसने के बाद देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर भगदड़ मची।

दारा शहर पर कब्जे के बाद सीरिया का झंडा लहराते विद्रोही लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के दौरान विद्रोहियों ने सीरिया सरकार के फाइटर जेट्स पर भी कब्जा कर लिया।

हमा पर कब्जे के बाद रॉकेट लॉन्चर के साथ विद्रोही लड़ाका। बैकग्राउंड में राष्ट्रपति असद का पोस्टर है जिसमें चेहरे पर गोलियों के निशान दिख रहे हैं।

हमा शहर पर कब्जे के बाद जीत का जश्न मनाते विद्रोही गुट के लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के बाद दमिश्क शहर की तरफ रवाना होते HTS लड़ाके।

असद ने 11 दिन में सत्ता गंवाई सीरिया में 27 नवंबर को सेना और सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) के बीच 2020 के सीजफायर के बाद फिर संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसे राष्ट्रपति बशर अल असद ने सीरिया की जंग के दौरान 4 साल की लड़ाई के बाद जीता था।

अलेप्पो जीतने के 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा और फिर दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा कर लिया। इसके बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है।

इस तरह असद ने सिर्फ 11 दिन के भीतर अपनी सत्ता गंवा दी और सीरिया पर असद परिवार के 50 साल का शासन खत्म हुआ।

लाइव अपडेट्स

20 मिनट पहले

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नागरिकों ने राष्ट्रपति भवन में लूटपाट की

राष्ट्रपति असद के देश छोड़ने के बाद राजधानी दमिश्क में मौजूद उनके आवास में सीरियाई नागरिक घुस गए हैं। नागरिकों ने राष्ट्रपति भवन में लूटपाट की है और वहां मौजूद सामान अपने साथ ले गए।

09:09 AM8 दिसम्बर 2024

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राजधानी दमिश्क पर भी विद्रोहिया का कब्जा

विद्रोही गुट के लड़ाकों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया है। विद्रोहियों ने राष्ट्रपति भवन सहित शहर की प्रमुख सरकारी इमारतों को अपने नियंत्रण में ले लिया है।

08:52 AM8 दिसम्बर 2024

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विद्रोहियों के साथ दिखे सीरियाई PM जलीली

07:05 AM8 दिसम्बर 2024

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सीरियाई PM बोले- असद से शनिवार को बात हुई थी

एकतरफ जहां सीरिया के विद्रोही राष्ट्रपति बशर अल असद को खोज रहे हैं, वहीं, वहां के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने एक सऊदी मीडिया हाउस को बताया कि शनिवार को आखिरी बार उनकी राष्ट्रपति से बात हुई थी।

तब से अब तक उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है।

07:02 AM8 दिसम्बर 2024

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इजराइल-सीरिया के बीच बफर जोन में घुसे इजराइली सैनिक

सीरिया में असद के भागने के बाद इजराइली सेना दोनों देशों के बीच बने बफर जोन गोलान हाइट्स में घुस गई है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इजराइली नागरिकों की सुरक्षा के लिए किया गया है।

दरअसल, 1967 की सिक्स डे वॉर के दौरान इजराइल ने सीरिया के गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था। इजराइल, सीरिया के साथ 83 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।

06:05 AM8 दिसम्बर 2024

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राष्ट्रपति असद को खोज रहे विद्रोही

अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक विद्रोही बशर अल असद को खोजने में जुटे हैं। वे सीरियाई सेना के अधिकारियों और इंटेलिजेंस अफसरों से पूछताछ कर रहे हैं।

दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद से असर और उनके परिवार को लेकर कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ रिपोर्टस में दावा किया गया है कि वे रूस जा चुके हैं।

05:31 AM8 दिसम्बर 2024

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असद परिवार के 50 साल के शासन का अंत

असद के सत्ता से हटने के साथ ही सीरिया में करीब 54 साल लंबे असद परिवार के शासन का अंत हो गया।

बशर के पिता हाफिज अल-असद 1971 में सीरिया के राष्ट्रपति बने थे और अगले 29 सालों तक देश के राष्ट्रपति रहे।

साल 2000 में हाफिज की मौत के बाद बशर ने सीरिया की सत्ता संभाली। इसके बाद से बशर सीरिया के राष्ट्रपति थे। 2011 में जब मिडिल ईस्ट में अरब क्रांति की शुरुआत हुई तब सीरिया में भी असद के खिलाफ विद्रोह शुरू हुए, जिन्हें बेरहमी से कुचल दिया गया। इसके बाद वहां गृह युद्ध की शुरुआत हुई।

अब बशर के देश छोड़ने के बाद विद्रोहियों ने वीडियो जारी कर कहा कि देश में असद परिवार के काले युग का अंत हो गया है। हम देश में नए युग की शुरुआत की घोषणा करते हैं।

04:25 AM8 दिसम्बर 2024

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सीरिया के हालात पर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की नजर

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सीरिया के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इसकी जानकारी रविवार को अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता ने दी है।

04:22 AM8 दिसम्बर 2024

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विद्रोहियों ने लोगों से सीरिया लौटने की अपील की

विद्रोहियों ने टेलीग्राम पर पोस्ट करते हुए गृह युद्ध की वजह से पिछले 13 सालों में सीरिया छोड़कर गए नागरिकों से वापस देश लौटने की अपील की है।

04:20 AM8 दिसम्बर 2024

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दमिश्क की सैदनाया जेल पर विद्रोहियों का कब्जा, कैदियों को रिहा किया

04:19 AM8 दिसम्बर 2024

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एयरपोर्ट से सेना पीछे हटी, देश छोड़ने के लिए लोगों की भीड़ जमा

03:51 AM8 दिसम्बर 2024

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हालात के लिए ओबामा व रूस जिम्मेदार: ट्रम्प

सीरिया में हो रही अस्थिरता के लिए अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही उन्होंने इसके पीछे रूस को भी जिम्मेदार बताया। ट्रम्प ने कहा, यह हमारी लड़ाई नहीं है। अमेरिका को इस संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए। सीरिया अमेरिका का दोस्त नहीं है।

03:50 AM8 दिसम्बर 2024

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भारत के नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी

सीरिया के हालात को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कल ही ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी थी। भारतीय नागरिकों से तत्काल सीरिया छोड़ने के लिए कहा गया है। साथ ही भारतीयों से सीरिया जाने से भी मना किया गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, कि सीरिया में रह रहे भारतीय दमिश्क में स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।

03:50 AM8 दिसम्बर 2024

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3 पॉइंट्स में समझिए… विद्रोह का क्या होगा असर…

1. वर्चस्व की लड़ाई: यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस की प्रोफेसर मोना याकूबियन का कहना है कि यह पश्चिम एशिया में वर्चस्व की लड़ाई है। सीरिया भूराजनीतिक रूप से अहम है। इसकी सीमा इराक, तुर्किये, जॉर्डन, लेबनान व इजराइल जैसे देशों से लगती है। सीरिया पर नियंत्रण अहम व्यापार मार्गों, ऊर्जा गलियारों तक पहुंच प्रदान करता है, और पूरे क्षेत्र में प्रभाव डालने के लिए एक आधार प्रदान करता है।

2. रूस पर बड़ा असर: विद्रोह का रूस पर बड़ा असर होगा। पश्चिमी एशिया में सीरिया उसका सबसे भरोसेमंद पार्टनर है। साथ ही 2011 में बशर के खिलाफ विद्रोह के बाद से रूस बशर को हर तरह की सैन्य, आर्थिक व रणनीतिक मदद देता रहा है। इस कारण रूस चाहता है कि बशर सत्ता में बने रहें। साथ ही विद्रोहियों को अमेरिकी समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यदि बशर जाते हैं तो इसका बड़ा नुकसान रूस को होगा।

3. तेल की कीमत में उछाल संभव:

भारत व सीरिया के रिश्ते ऐतिहासिक हैं। विद्रोह नहीं रुका तो कच्चे तेल के दामों में उछाल देखने को मिलेगा। इससे भारत पर असर पड़ेगा। वहीं, हाल में पावर और सोलर प्लांट प्रोजेक्ट पर दोनों मुल्क साथ काम कर रहे हैं। भारत ने 2022 में इसके लिए 28 करोड़ डॉलर की मदद की घोषणा की थी। विद्रोह के बढ़ने पर इन प्रोजेक्ट पर असर होगा। 2008 में बशर भारत का दौरा कर चुके हैं।

03:50 AM8 दिसम्बर 2024

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ईरान ने राष्ट्रपति असद का साथ छोड़ा

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान ने शुक्रवार से सीरिया से अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े लोगों, राजनयिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ईरान पहले की तरह असद सरकार का साथ देने में असमर्थ है।

अधिकारी ने बताया कि दमिश्क में रह रहे विशेष कर्मचारियों को विमानों से तेहरान लाया जा रहा है। जबकि बाकियों को जमीनी रास्ते से लताकिया बंदरगाह जा रहे हैं जहां से वे ईरान पहुंचेंगे।

ईरानी मामले के जानकारी मेहदी रहमती ने NYT से कहा कि ईरान ने अपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निकालना शुरू किया है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सीरिया की सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाएगी।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची।

ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीरिया पतन के कगार पर है और हम शांति से यह सब देख रहे हैं। अगर दमिश्क गिर गया तो ईरान, इराक और लेबनान में अपना असर खो देगा। मुझे समझ नहीं आता कि हमारी सरकार इस पर चुप क्यों है। यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह दमिश्क की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया की सुरक्षा करने का वचन दिया था। हालांकि, शुक्रवार को उन्होंने बगदाद में इससे अलग बयान दिया। उन्होंने कहा- हम भविष्य नहीं बता सकते। अल्लाह की जो भी इच्छा होगी वही होगा।

03:49 AM8 दिसम्बर 2024

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रूस से भी असद को नहीं मिल रही पूरी मदद

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने असद को सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया था, लेकिन इस बार के संकट में रूस का असद को बचाने कोई इरादा नहीं है। शुरुआत में रूसी वायुसेना ने अलेप्पो में विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी लेकिन ये मदद कम होती जा रही है। इस बीच दमिश्क में रूसी दूतावास ने अपने नागरिकों को देश छोड़ने की सलाह दी है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में क्रेमलिन के हवाले बताया गया है कि रूस के पास सीरिया संकट का हल नहीं है। सीरियाई राष्ट्रपति असद विद्रोह को दबाने के लिए कई सालों से रूस और ईरान पर निर्भर रहे हैं, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।

रूस और ईरान दोनों ही अपनी-अपनी समस्याओं में उलझे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि पहली बार असद अकेले पड़ चुके हैं। रूस ने अब राष्ट्रपति असद की परवाह करना छोड़ दिया है।

03:49 AM8 दिसम्बर 2024

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सीरिया का सबसे बड़ा संगठन बना HTS

HTS पहले अल कायदा से जुड़ा रहा है। सुन्नी गुट HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है। जुलानी बीते कई साल से सीरिया की अल असद सरकार के लिए खतरा बना हुआ है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-जुलानी का जन्म 1982 में रियाद, सऊदी अरब में हुआ। वहां उसके पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे। साल 1989 जुलानी का परिवार सीरिया लौट आया और दमिश्क के पास बस गया।

जुलानी ने 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर अल-कायदा ज्वाइन कर लिया था। वह अल कायदा में अबू मुसाब अल-जरकावी का करीबी रहा। 2006 में जरकावी की हत्या के बाद जुलानी ने लेबनान और इराक में समय बिताया।

2003 में अलकायदा ज्वाइन करने से पहले जुलानी की बहुत कम जानकारी मिलती है।

2006 में ही जुलानी को इराक में अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। 5 साल जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ गया। 2011 में असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच जुलानी सीरिया आ गया। इसके बाद उसने जबात अल-नुसरा का गठन किया और असद सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी।

साल 2017 में अल-नुसरा कुछ दूसरे आतंकी गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बना। HTS अब सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। अलेप्पो और हमा पर कब्जे से पहले इस संगठन का इदलिब पर कब्जा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन के बाद 30 हजार लड़ाके हैं। अमेरिका ने 2018 में इस संगठन को आतंकी लिस्ट में डाला था।

03:48 AM8 दिसम्बर 2024

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सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध

2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। सीरिया के लोगों ने 10 साल से सत्ता में काबिज बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसके बाद ‘फ्री सीरियन आर्मी’ के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ।

विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच, सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS ने भी पैर पसार लिए थे।

2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छिटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।

03:47 AM8 दिसम्बर 2024

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सीरिया में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

सीरिया में विद्रोहियों ने 4 दिन में कब्जाया अलेप्पो शहर:सेना भागी, लोगों को घरों में रहने के आदेश ; रूसी हमले में 300 की मौत

सीरिया में विद्रोही गुटों ने 4 दिन के भीतर अलेप्पो शहर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला बुधवार को शुरू हुआ था और शनिवार तक आस-पास के गांवों पर कब्जा करते हुए लड़ाकों ने अलेप्पो का बड़ा हिस्सा अपने कंट्रोल में ले लिया। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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