फतेहाबाद (आगरा): उत्तर प्रदेश में धनगर समाज के संवैधानिक अधिकारों पर प्रशासनिक हमले की घटनाओं ने समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुके धनगर समाज के लोगों के प्रमाण पत्र निरस्त किए जाने और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही किए जाने के विरोध में व्यापक असंतोष देखा जा रहा है।
धनगर समाज के प्रतिनिधि प्रवल प्रताप सिंह धनगर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस अन्याय पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा धनगर जाति के लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र देने से इनकार किया जा रहा है, जबकि संविधान और सरकार के शासनादेश इसके समर्थन में हैं।
संविधान में धनगर जाति को मिला है एससी का दर्जा
प्रवल प्रताप सिंह धनगर के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत धनगर जाति को उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की सूची में क्रमांक 27 पर शामिल किया गया है। हालांकि, जानकारी के अभाव में इस समाज के कई लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का लाभ लेते रहे। जब शिक्षा का स्तर बढ़ा और समाज के लोगों ने अपने संवैधानिक अधिकारों की जानकारी हासिल की, तो उन्होंने एससी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना शुरू किया।
लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इन आवेदनों को यह कहते हुए निरस्त करना शुरू कर दिया कि धनगर जाति यहां निवास नहीं करती या इसे गडरिया जाति का ही हिस्सा बताया गया। इस अन्याय के विरोध में धनगर समाज ने कई आंदोलन किए और सरकार ने भी कई बार इस जाति को अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता देने के लिए शासनादेश जारी किए।
2019 के शासनादेश को भी दरकिनार कर रही प्रशासनिक व्यवस्था
राज्य सरकार ने 24 जनवरी 2019 को एक स्पष्टीकरण शासनादेश जारी किया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि गडरिया समुदाय की दो उपजातियां—नीखर और धनगर—हैं। शासनादेश में कहा गया कि यदि कोई आवेदक गडरिया उपजाति धनगर का सदस्य पाया जाता है, तो उसे अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र दिया जाए।
इस आदेश के आधार पर आगरा जिले के फतेहाबाद तहसील में धनगर समाज के लोगों को एससी प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। लेकिन अब वही तहसीलदार, जिन्होंने प्रमाण पत्र जारी किए थे, उन्हें ही निरस्त कराने की संस्तुति कर रहे हैं। इतना ही नहीं, संबंधित लेखपालों, कर्मचारियों और लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करा दी गई है।
धनगर समाज में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
इस घटनाक्रम से धनगर समाज के लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ दिखावटी आदेश जारी कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर उन आदेशों का अनुपालन नहीं कराया जा रहा।
प्रवल प्रताप सिंह धनगर ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने धनगर जाति के लोगों के अधिकारों की रक्षा नहीं की और उनके प्रमाण पत्र निरस्त करने की प्रक्रिया को रोका नहीं गया, तो समाज एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगा।
उन्होंने सरकार पर “धनगर समाज को लॉलीपॉप देने और घड़ियाली आंसू बहाने” का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर यही स्थिति रही, तो इस अन्याय के खिलाफ प्रदेशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
क्या कहता है कानून?
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई जाति अनुसूचित जाति सूची में शामिल है और सरकार ने स्पष्ट आदेश भी जारी किए हैं, तो प्रशासनिक अधिकारियों का मनमाना रवैया पूरी तरह गलत है। सरकार को इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप कर प्रमाण पत्र निरस्तीकरण की प्रक्रिया को रोकना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
सरकार की मंशा पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या उत्तर प्रदेश सरकार वास्तव में धनगर समाज के हक में है, या फिर सिर्फ दिखावटी घोषणाएं कर रही है? प्रशासनिक स्तर पर इस तरह की मनमानी ने धनगर समाज को असमंजस में डाल दिया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। वही इस दौरान राकेश बघेल पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष , प्रदीप प्रधान , मोहर सिंह प्रधान, रतिमंत बघेल प्रधान, गौरव बघेल प्रधान , डोंगर सिंह प्रधान, सीताराम प्रधान , डॉ कमल सिंह प्रधान, डॉ गणेश बघेल, सुरेश सरपंच, पूरन सिंह धनगर , रंजीत धनगर, योगेश बघेल, पत्रकार नीरज धनगर, किशोर बघेल, एड प्रदीप बघेल, सोनू , राधेश्याम बघेल , सोवरन सिंह धनगर , केवी सिंह जोगेंद्र बघेल, महेश, पप्पी धनगर, सुनीता देवी प्रधान, मिथलेश, ब्रह्मा देवी,आज सैकड़ो लोग प्रदर्शन में मौजूद रहे