Thursday, June 26, 2025

Syria Civil War Video Update; Iran India Syria Travel Advisory | Daraa City | ट्रम्प बोले- सीरिया की लड़ाई से हमारा लेना देना नहीं: वहां तबाही मची है पर न सीरिया हमारा दोस्त, न वो हमारी लड़ाई; जो चल रहा चलने दो

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दमिश्क2 दिन पहले

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अलेप्पो में कब्जे के बाद जश्न मनाते विद्रोह गुट हयात तहरीर अल शाम के लड़ाके।

सीरिया में विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) और सेना की बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। विद्रोही अब तक सीरिया के तीन प्रमुख शहरों पर कब्जा कर चुके हैं। इसे लेकर डोनाल्ड ट्रम्प ने बयान जारी कहा है कि अमेरिका को सीरिया की लड़ाई में शामिल नहीं होना चाहिए।

X पोस्ट में ट्रम्प ने कहा- सीरिया में तबाही मची हुई है, लेकिन वो हमारा दोस्त नहीं है। अमेरिका का इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। यह हमारी लड़ाई नहीं है। इसे चलने दो। अगर रूस को सीरिया से बाहर जाने के लिए मजबूर किया गया तो ये उसके लिए फायदे की बात हो सकती है, क्योंकि वहां उसका कोई खास फायदा नहीं है।

विद्रोही गुट का तीसरे शहर पर भी कब्जा

सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम (HTS) और उसके सहयोगियों ने तीसरे शहर ‘दारा’ पर भी कब्जा कर लिया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक विद्रोही गुटों ने यहां मौजूद सेना के साथ समझौता कर लिया है।

2011 में दारा शहर से ही असद सरकार के खिलाफ क्रांति की शुरुआत हुई थी। रॉयटर्स के मुताबिक सेना ने खुद विद्रोहियों को दमिश्क तक जाने का सुरक्षित रास्ता दे दिया। दारा शहर सीरिया के दक्षिणी इलाके में है और जॉर्डन से सटा हुआ है। इस पर कब्जा होने के बाद राजधानी दमिश्क दोनों तरफ से घिर गई है।

सीरिया में 27 नवंबर को सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। इसके बाद 1 दिसंबर को विद्रोहियों ने उत्तरी शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। इसके 4 दिन बाद विद्रोही गुटों ने एक और बड़े शहर हमा पर भी कब्जा कर लिया।

विद्रोहियों ने दक्षिणी शहर दारा पर कब्जा करने के बाद राजधानी दमिश्क को दो दिशाओं से घेर लिया है। दारा और राजधानी दमिश्क के बीच सिर्फ 90 किमी की दूरी है।

इस बीच ईरान ने अपने लोगों को सीरिया से बाहर निकालना शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात सीरिया की यात्रा और वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

HTS विद्रोहियों के हमा और दारा पर कब्जे से जुड़ीं 5 फुटेज…

दारा शहर पर कब्जे के बाद सीरिया का झंडा लहराते विद्रोही लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के दौरान विद्रोहियों ने सीरिया सरकार के फाइटर जेट्स पर भी कब्जा कर लिया।

हमा पर कब्जे के बाद रॉकेट लॉन्चर के साथ विद्रोही लड़ाका। बैकग्राउंड में राष्ट्रपति असद की तस्वीर है जिसके चेहरे पर गोलियां बरसाई गईं।

हमा शहर पर कब्जे के बाद जीत का जश्न मनाते विद्रोही गुट के लड़ाके।

हमा शहर पर कब्जे के बाद दमिश्क शहर की तरफ रवाना होते HTS लड़ाके।

ईरान ने राष्ट्रपति असद का साथ छोड़ा न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान ने शुक्रवार से सीरिया से अपने सैन्य कमांडरों, रिवोल्यूशनरी गार्ड से जुड़े लोगों, राजनयिक कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकालना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि ईरान पहले की तरह असद सरकार का साथ देने में असमर्थ है।

अधिकारी ने बताया कि दमिश्क में रह रहे विशेष कर्मचारियों को विमानों से तेहरान लाया जा रहा है। जबकि बाकियों को जमीनी रास्ते से लताकिया बंदरगाह जा रहे हैं जहां से वे ईरान पहुंचेंगे।

ईरानी मामले के जानकारी मेहदी रहमती ने NYT से कहा कि ईरान ने अपनी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को निकालना शुरू किया है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि सीरिया की सेना विद्रोहियों का मुकाबला नहीं कर पाएगी।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची।

ईरानी संसद के सदस्य अहमद नादेरी ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सीरिया पतन के कगार पर है और हम शांति से यह सब देख रहे हैं। अगर दमिश्क गिर गया तो ईरान, इराक और लेबनान में अपना असर खो देगा। मुझे समझ नहीं आता कि हमारी सरकार इस पर चुप क्यों है। यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस सप्ताह दमिश्क की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने सीरिया की सुरक्षा करने का वचन दिया था। हालांकि, शुक्रवार को उन्होंने बगदाद में इससे अलग बयान दिया। उन्होंने कहा- हम भविष्य नहीं बता सकते। अल्लाह की जो भी इच्छा होगी वही होगा।

रूस से भी असद को नहीं मिल रही पूरी मदद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने असद को सैन्य और राजनीतिक समर्थन दिया था, लेकिन इस बार के संकट में रूस का असद को बचाने कोई इरादा नहीं है। शुरुआत में रूसी वायुसेना ने अलेप्पो में विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी लेकिन ये मदद कम होती जा रही है। इस बीच दमिश्क में रूसी दूतावास ने अपने नागरिकों को देश छोड़ने की सलाह दी है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में क्रेमलिन के हवाले बताया गया है कि रूस के पास सीरिया संकट का हल नहीं है। सीरियाई राष्ट्रपति असद विद्रोह को दबाने के लिए कई सालों से रूस और ईरान पर निर्भर रहे हैं, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।

रूस और ईरान दोनों ही अपनी-अपनी समस्याओं में उलझे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि पहली बार असद अकेले पड़ चुके हैं। रूस ने अब राष्ट्रपति असद की परवाह करना छोड़ दिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय बोला- सीरिया जाने से बचें विदेश मंत्रालय ने कहा- सीरिया की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। वहां रह रहे भारतीय लोगों से अपील की जाती है कि वे बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें।

मंत्रालय ने कहा कि सीरिया में रह रहे भारतीय लोग अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov.in पर संपर्क में रहें।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को सीरिया के हालात को लेकर कहा- हमने सीरिया के उत्तरी भाग में हाल ही में बढ़ी लड़ाई पर ध्यान दिया है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।

सीरिया में लगभग 90 हजार भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 14 विभिन्न संयुक्त राष्ट्र संगठनों में काम कर रहे हैं। हमारा मिशन अपने नागरिकों की सुरक्षा करना है।

सीरिया का सबसे बड़ा संगठन बना HTS HTS पहले अल कायदा से जुड़ा रहा है। सुन्नी गुट HTS का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जुलानी कर रहा है। जुलानी बीते कई साल से सीरिया की अल असद सरकार के लिए खतरा बना हुआ है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-जुलानी का जन्म 1982 में रियाद, सऊदी अरब में हुआ। वहां उसके पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे। साल 1989 जुलानी का परिवार सीरिया लौट आया और दमिश्क के पास बस गया।

जुलानी ने 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर अल-कायदा ज्वाइन कर लिया था। वह अल कायदा में अबू मुसाब अल-जरकावी का करीबी रहा। 2006 में जरकावी की हत्या के बाद जुलानी ने लेबनान और इराक में समय बिताया।

2003 में अलकायदा ज्वाइन करने से पहले जुलानी की बहुत कम जानकारी मिलती है।

2006 में ही जुलानी को इराक में अमेरिकी सेना ने गिरफ्तार कर लिया। 5 साल जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह इस्लामिक स्टेट के साथ जुड़ गया। 2011 में असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच जुलानी सीरिया आ गया। इसके बाद उसने जबात अल-नुसरा का गठन किया और असद सरकार के खिलाफ जंग छेड़ दी।

साल 2017 में अल-नुसरा कुछ दूसरे आतंकी गुटों के साथ मिलकर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) बना। HTS अब सीरिया में सबसे शक्तिशाली विद्रोही गुट है। अलेप्पो और हमा पर कब्जे से पहले इस संगठन का इदलिब पर कब्जा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस संगठन के बाद 30 हजार लड़ाके हैं। अमेरिका ने 2018 में इस संगठन को आतंकी लिस्ट में डाला था।

सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृह युद्ध 2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी। सीरिया के लोगों ने 10 साल से सत्ता में काबिज बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इसके बाद ‘फ्री सीरियन आर्मी’ के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ।

विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सऊदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच, सीरिया में आतंकवादी संगठन ISIS ने भी पैर पसार लिए थे।

2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छिटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।

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सीरिया में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

सीरिया में विद्रोहियों ने 4 दिन में कब्जाया अलेप्पो शहर:सेना भागी, लोगों को घरों में रहने के आदेश ; रूसी हमले में 300 की मौत

सीरिया में विद्रोही गुटों ने 4 दिन के भीतर अलेप्पो शहर के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला बुधवार को शुरू हुआ था और शनिवार तक आस-पास के गांवों पर कब्जा करते हुए लड़ाकों ने अलेप्पो का बड़ा हिस्सा अपने कंट्रोल में ले लिया। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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