Caste Census: जातीय जनगणना ऐसा हथियार, जिसे कांग्रेस कई राज्यों में इस्तेमाल करने की कोशिश कर चुकी है। बिहार के बाद तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों की सरकारें इस दिशा में आगे बढ़ी हैं। सिवाय बिहार के तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने जातीय जनगणना पर खूब जोर दिया है। आने वाले समय में बिहार के चुनाव हैं और यहां से तय था कि जातीय जनगणना के हथियार को कांग्रेस फिर इस्तेमाल कर सकती थी। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ऐसा खेल खेला है कि विपक्ष के हथियार कुंद पड़ जाएंगे। या यूं कहें कि बीजेपी सरकार ने एक झटके में ही कांग्रेस और जातीय जनगणना पर जोर देने वाले सपा जैसे दलों के हाथों से बड़ा हथियार छीन लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले दिन केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग हुई, जिसमें आगामी जनगणना में जातिवार गणना को भी शामिल करने का फैसला हुआ। वैसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के मुताबिक, जनगणना संघ का विषय होता, जो 7वीं अनुसूची के संघ सूची में 69वें स्थान पर दर्ज है। इसके बावजूद केंद्र से अलग कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिवार गणना के लिए सर्वे करा लिए। ये तथ्य हैं कि देश की आजादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। हालांकि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री (दिवंगत) मनमोहन सिंह ने लोकसभा को आश्वस्त किया था कि जातिवार जनगणना कराने के मुद्दे पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। उस समय काम हुआ, लेकिन जातिगत जनगणना की बजाय सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना सर्वेक्षण (एसईसीसी) का विकल्प चुना गया। इस बार बीजेपी ने जातिवार गणना को शामिल किया है।
बीजेपी ने छीन लिया कांग्रेस और सपा का हथियार
बिहार में विधानसभा के चुनाव हैं, ऐसे में तय था कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना के मुद्दे को जोरदार हवा देती। फिलहाल इतना तय है कि बीजेपी केंद्र के जातीय गणना के ऐलान के सहारे राज्य में खुद को सामाजिक न्याय की पक्षधर बताने की पूरी कोशिश करेगी। उत्तर प्रदेश के चुनावों में अभी देर है, लेकिन राज्य में समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव लगातार जातीय जनगणना के विषय को उठाते रहे हैं। मसलन अखिलेश के हाथ का हथियार भी बीजेपी छीन चुकी है।
ओबीसी वर्ग को भी साध पाएगी बीजेपी
कांग्रेस भली-भांति समझ चुकी है कि उससे ओबीसी वर्ग छिटक चुका है। खुद सार्वजनिकों मंचों से राहुल गांधी ने माना कि पार्टी ने ऊंची जातियों, दलितों और मुस्लिमों पर ध्यान दिया और इधर ओबीसी वर्ग इनसे दूर हो गया। हालिया राजनीति परिदृष्य में देखा गया कि कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में कांग्रेस ने खुद को ओबीसी के मुद्दों पर आवाज प्रखर की। खैर, केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने विरोधियों का पूरा प्लान चौपट कर दिया है और इससे कहीं ना कहीं बीजेपी की कोशिश ओबीसी वर्ग को साधने की भी रहेगी।