Thursday, June 26, 2025

INDIA Alliance Leadership Politics; Mamata Banerjee | Congress | भास्कर ओपिनियन: इंडिया गठबंधन को अब ममता अच्छी लगने लगी

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नई दिल्ली38 मिनट पहले

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हाल ही में ममता बनर्जी ने कहा था कि मैं INDIA ब्लॉक का नेतृत्व करने के लिए तैयार हूं।

मौसम में ठण्डक है और राजनीति में गर्माहट। कुछ इलाक़ों में ठण्डक इतनी कि खून तक जम जाए। कई इलाक़ों में राजनीतिक गर्मी इतनी कि खून जल जाए। महाराष्ट्र में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस ठिठुर रही है। इतनी कि हाड़ काँप जाएँ! मप्र के निमाड – मालवा में कहावत है – “थकेल बैल पाटा मं लात मारच”। यानी बैल जब थक- हार जाता है तो गाड़ी के पहिए में लात मारने लगता है, जबकि उससे चोट उस बैल को ही लगती है। यही हाल कांग्रेस का है। करारी हार के बाद उसने अडाणी मुद्दे को जोर- शोर से उठाया। बदले में भाजपा और उसके होशियार अय्यार, सोनिया गांधी के विरुद्ध मामला खोज लाए। उनका कहना है कि सोनिया गांधी ऐसे संगठन से जुड़ी हुई हैं जो भारत के खिलाफ लगातार अभियान चलाता रहता है। कुछ फ़ण्डिंग का मामला भी बताया जा रहा है।

दिल्ली जो इन दिनों कभी थर-थर काँपती थी, यहाँ ठण्ड का नामोनिशान नहीं है। कहते हैं अगले कुछ दिनों में पारा पाँच या दो डिग्री तक जा सकता है, लेकिन यहाँ आप पार्टी और उसके नेता केजरीवाल ने गर्मी बढ़ा रखी है। चुनाव फ़रवरी 2025 में होने हैं और अभी से उम्मीदवारों की लिस्ट पर लिस्ट जारी करते जा रहे हैं। दरअसल, केजरीवाल इस बार भी दिल्ली में भाजपा को चारों खाने चित करना चाहते हैं। वैसे भी दिल्ली में भाजपा के पास कोई लोकल चेहरा तो है नहीं। एक बेचारे डॉक्टर हर्ष वर्धन थे, लेकिन वे अब कहां खो गए, खुद भाजपा भी नहीं जानती। …और शायद जानना भी नहीं चाहती!

इधर महाराष्ट्र की परम पराजय के बाद इंडिया गठबंधन के तमाम साथियों का कांग्रेस से मोह भंग होता दिख रहा है। हर मौसम में कोलकाता जिस तरह गर्म रहता है, राजनीतिक रूप से भी उतना ही गर्म है। इंडिया गठबंधन के अधिकांश सदस्य-दल अब राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस की बजाय ममता बनर्जी में आस्था जताने को आतुर हैं।

कहा जा रहा है कि मोदी से टक्कर लेने की हिम्मत सिर्फ़ ममता में है। अब इन बेचारे दलों को कौन समझाए कि जो मोदी ममता बेनर्जी के पश्चिम बंगाल को जीते बिना दस साल से देश पर राज कर रहे हैं, उनका ममता दीदी उत्तर भारत में क्या बिगाड़ लेंगी? दरअसल, इन दलों की हालत हारे को तिनके का सहारा जैसी है। ये नहीं तो वो! वो नहीं तो ये! लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद इंडिया गठबंधन के तमाम दलों को राहुल गांधी में ही अपना ईश्वर नज़र आ रहा था। खुद बंगाल वाली दीदी भी कह रही थीं कि कांग्रेस के पाँव में सबका पाँव! लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र की हार ने सबका मन बदल दिया। सिवाय मल्लिकार्जुन खडगे के। हारें या जीतें, वे जस के तस रहते हैं। एक तरह से भाव शून्य नज़र आते हैं। निर्विकार। शायद वे अपनी इसी खूबी के कारण अध्यक्ष बनाए गए हैं। वैसे भी कांग्रेस को ऐसे नेताओं की तलाश हमेशा रहती है। तमाम दुख- सुख से परे भी, और हार- जीत के झंझट से मुक्त भी। इस बीच ममता के एक बयान ने इन दिनों तहलका मचा रखा है।

दरअसल, बांग्लादेश के एक नेता ने कह दिया था कि अगर भारत हमसे चटगाँव माँगेगा तो हम बंगाल, बिहार और ओडिशा वापस ले लेंगे। ममता दीदी ने आव देखा न ताव, तमतमाते चेहरे के साथ कह डाला कि आप बंगाल, ओडिशा छीनने की कोशिश करेंगे तो हम क्या लॉलीपॉप खाते रहेंगे? राहुल छोड़ ममता में विश्वास जताने वाले इंडिया गठबंधन के कुछ दलों को यह बयान सोने पर सुहागा लग रहा है।

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