बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद पर भरोसा जताते हुए उन्हें पार्टी का मुख्य राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। यह फैसला रविवार को दिल्ली स्थित पार्टी के सेंट्रल ऑफिस, लोधी रोड में आयोजित एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बैठक के दौरान लिया गया। बैठक में देश भर से आए बसपा पदाधिकारियों ने भाग लिया। उत्तर प्रदेश के सभी जिला अध्यक्ष, को-ऑर्डिनेटर, नेशनल को-ऑर्डिनेटर, जनरल सेक्रेटरी और विभिन्न प्रदेशों के अध्यक्ष बैठक में मौजूद रहे। इस मौके पर आकाश आनंद भी मायावती के साथ मंच पर नजर आए, जिससे एक बार फिर उनके नेतृत्व में पार्टी की भावी दिशा की पुष्टि हुई। इस निर्णय को पार्टी में आकाश आनंद की भूमिका को और मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि बसपा नेतृत्व अब युवा नेतृत्व को आगे लाने की दिशा में सक्रिय रूप से कदम बढ़ा रहा है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने एक बार फिर चौंकाने वाला राजनीतिक कदम उठाते हुए अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में वापसी का मौका दे दिया है। 3 मार्च को पार्टी से निकाले जाने के बाद, ठीक 40 दिन बाद यानी 13 अप्रैल को आकाश की बसपा में वापसी हुई।आज पार्टी की एक अहम बैठक में मायावती के साथ आकाश आनंद की मौजूदगी ने सभी की नजरें खींच लीं। एक समय बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती द्वारा उत्तराधिकारी घोषित किए जा चुके आकाश को पार्टी से बाहर किए जाने का कारण “अनुशासनहीनता” और “जल्दबाज़ी में फैसले लेने की प्रवृत्ति” बताया गया था।
आकाश को जिम्मेदारी के साथ सख्त चेतावनी
हालांकि वापसी के साथ ही मायावती ने आकाश को सख्त चेतावनी भी दी है कि वे किसी के बहकावे में न आएं और पार्टी की नीतियों के अनुरूप काम करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे आकाश का मनोबल बढ़ाएं और उनके साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करें।इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या मायावती अपने उत्तराधिकारी के तौर पर एक बार फिर आकाश आनंद पर भरोसा जताने जा रही हैं? क्या उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी? हालात चाहे जो हों, लेकिन इतना तय है कि बसपा में आकाश की वापसी से पार्टी की आंतरिक राजनीति में नया मोड़ आ गया है।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक समय पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इस फैसले के पीछे उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ के पार्टी पर बढ़ते प्रभाव को प्रमुख कारण बताया गया। मायावती ने तब स्पष्ट किया था कि यह कदम पार्टी और बहुजन मूवमेंट की भलाई के लिए उठाया गया है। हालांकि, बाद में आकाश आनंद ने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उनके इस रवैये को देखते हुए मायावती ने एक बार फिर उन्हें पार्टी में वापस ले लिया। इस घटनाक्रम ने बसपा के अंदर नेतृत्व संतुलन और अनुशासन के महत्व को एक बार फिर उजागर किया।