Wednesday, June 25, 2025

Iran TV Studio Missile Attack; Lucknow Journalist Ravish Zaidi Father | Israel War | ईरान में मिसाइल अटैक में लखनऊ का पत्रकार बचा: पिता बोले- 20 सेकेंड लेट होता तो जान नहीं बचती, मां के जनाजे में नहीं आ पाया – Lucknow News

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‘मेरी पत्नी का 6 दिन पहले देहांत हो गया था। बेटा ईरान में टीवी पत्रकार है। मां के इंतकाल की जानकारी देने के लिए मैं बेटे रवीश जैदी को लगातार फोन कर रहा था, लेकिन कॉल नहीं लग रही थी। देर शाम किसी तरह बेटे के एक दोस्त से बात हुई। तो पता चला कि ईरान में

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यह सुनने के बाद दिल बहुत घबरा गया। लेकिन पता चला कि बेटा सेफ है। उसके अगले दिन बेटे से बात हुई तो बताया कि डैडी हमले से 20 सेकेंड पहले ही मैं दफ्तर से निकला था। इसी वजह से मेरी जान बच पाई और आपसे बात कर पा रहा हूं।’

यह कहना है ईरान में लखनऊ के पत्रकार रविश जैदी के पिता अमीर अब्बास जैदी का। वह 15 साल से वहीं के सरकारी चैनल में जर्नलिस्ट हैं। इजराइल और ईरान के बीच में मौजूदा जंग में भी वह लाइव रिपोर्टिंग कर रहे हैं। जंग के हालात के चलते वह अपने मां के जनाजे में भी नहीं शामिल हो सके।

रविश जैदी की तरह लखनऊ के कई और लोग भी ईरान में फंसे हुए हैं। इनमें वहां जॉब, पढ़ाई और जियारत (धार्मिक यात्रा) करने गए लोग शामिल हैं। लखनऊ में उनके परिवार के लोग परेशान हैं। उनकी आंखों में आंसू हैं। वह सरकार से उन्हें निकालने की गुजारिश कर रहे हैं।

दैनिक भास्कर ने ईरान में फंसे लोगों के परिवार वालों से बातचीत की। उनके अपने रूंधे हुए गले और आंखों में आंसू लेकर अपना दर्द साझा किया। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पहले देखिए पत्रकार रविश जैदी के न्यूज चैनल के हालात-

ईरान में IRINN के ऑफिस में लाइव टेलीकास्ट के दौरान बम गिरे। न्यूज चैनल की एंकर भागती हुई नजर आईं। ये वीडियो काफी वायरल भी हुआ। इसी चैनल में लखनऊ के रविश जैदी काम करते हैं।

मां के अंतिम संस्कार में लखनऊ नहीं आ पाए रविश

लखनऊ के रविश जैदी ईरान के इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान न्यूज नेटवर्क (IRINN ) में काम करते हैं। उनके पिता अमीर अब्बास जैदी बताते हैं कि 13 जून को मेरी पत्नी का देहांत हो गया। इसकी जानकारी देने के लिए मैंने बेटे रविश को लगातार कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो पाई।

मैंने उसके दोस्तों से संपर्क किया, तो पता चला कि उसके कार्यालय में लाइव टेलीकास्ट के दौरान ही हमला हो गया था। रविश सुरक्षित हैं, इंटरनेट बंद हो चुका है। उसके अगले दिन रविश से बात हुई तो राहत मिली।

फ्लाइट्स बंद हो चुकी थीं, इसलिए रविश इंडिया नहीं आ सके। मैंने पत्नी का तदफीन (अंतिम संस्कार) कर दिया। पिता ने भास्कर रिपोर्टर काे रविश से बात कराने की कोशिश की, लेकिन वहां इंटरनेट बंद होने की वजह से कॉल कनेक्ट नहीं हुई।

पत्रकार रविश जैदी। फाइल फोटो।

लाइव टेलीकास्ट के दौरान चैनल के ऑफिस पर गिरे बम

अमीर अब्बास जैदी ने बताया कि बेट के दोस्तों से बातचीत में पता चला कि ईरान के IRINN के मुख्यालय पर लाइव टेलीकास्ट चल रहा था। एंकर न्यूज पढ़ रही थी। उसी समय इजराइल ने हमला कर दिया। चैनल के मुख्यालय पर बम गिरने लगे।

लाइव टेलीकास्ट अचानक बंद हो गया। बाद में इसका वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ।

अमीर अब्बास ने कहा- मौत को कोई टाल नहीं सकता है, लेकिन चिंता तो होती ही है।

धमाके से 20 सेकेंड पहले बिल्डिंग से निकला बेटा

अमीर अब्बास जैदी बताते हैं कि बेटे से जब हादसे के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं बिल्डिंग पर हमले से 20 सेकेंड पहले ही निकला था। इससे मेरी जान बच गई। उन्होंने कहा कि बेटा उस हादसे में जान गंवा देता तो कोई गम नहीं होता।

हमारी धार्मिक आस्था के अनुसार उसे शहीद का दर्जा मिलता, लेकिन बेटा है चिंता तो होती है। लगभग 6 महीने पहले रविश की पत्नी का भी इंतकाल हो गया था।

यह तस्वीर पत्रकार रविश जैदी की ईरान में रिपोर्टिंग के दौरान की है।

15 साल से ईरान में पत्रकार हैं रविश

अमीर अब्बास जैदी बताते हैं कि मेरा बेटा रविश जैदी लगभग 15 साल से ईरान के न्यूज चैनल में जर्नलिस्ट है। उसने वहीं पढ़ाई की। फिर वहीं नौकरी करने लगा। मैं यूपी पुलिस में था। लगभग 40 साल तक सेवाएं दीं और 2008 में रिटायर हुआ।

मैंने हमेशा अपने बच्चों को बहादुर और निडर होने का पाठ पढ़ाया।

अब पढ़िए ईरान में फंसे लखनऊ के दूसरे लोगों के अपने क्या कह रहे हैं-

लखनऊ के रहने वाले रजा अब्बास की बेटी फौजिया परिवार के 4 लोगों के साथ ईरान में फंसी हैं।

बेटी-दामाद परिवार के साथ फंसे

लखनऊ के चौक क्षेत्र में रहने वाले रजा अब्बास बताते हैं कि उनकी बड़ी बेटी फौजिया अपनी फैमिली के साथ जियारत के लिए गई है। कुल 4 लोग साथ में हैं। 18 जून को उनकी वापसी का टिकट था, मगर फ्लाइट रद्द हो गई। सभी ईरान में फंसे हैं।

यह बताते-बताते उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि फैमिली के लोग पहले इराक में थे तो आसानी से बात हो जाती थी। अब नेटवर्क की बहुत समस्या आ रही है। बात भी नहीं हो पा रही है।

रजा अब्बास ईरान में फंसी बेटी और उसके घरवालों के बारे में बताते-बताते रो पड़े।

‘दवाइयां खत्म, बीमारी से परेशान’

रजा अब्बास बताते हैं कि बेटी बीमार रहती है। उसकी दवाइयां खत्म हो गई हैं। उसकी सास को भी गठिया-बाय है। ईरान में बच्चे परेशान हैं। उनकी सुरक्षा के बारे में सोच-सोचकर हम लोगों की हालत खराब हो रही है।

बच्चे बताते हैं कि अकसर उन्हें धमाकों की आवाज सुनाई पड़ती है। ज्यादातर वक्त होटल में ही गुजर रहा है। जब भी ईरान पर हमले की खबर आती है तो हम लोग यहां लखनऊ में बेचैन हो जाते हैं। मोदी सरकार से हमारी गुजारिश है कि वहां जितने लोग फंसे हुए हैं, उन्हें हिंदुस्तान वापस लाया जाए।

ईरान में फंसे लोगों को एयर लिफ्ट कराने की मांग

सैयद हसन मेहंदी ने कहा कि मेरी बेटी, दामाद और दो बच्चे जियारत के लिए गए हैं। किसी को मालूम नहीं था की स्थिति इतनी भयावह हो जाएगी। उनके ग्रुप में 60 लोग हैं, जो सभी हिंदुस्तान आने के लिए परेशान हैं।

भारत सरकार से हमारी मांग है कि जैसे यूक्रेन और अन्य देशों से छात्रों को एयर लिफ्ट किया गया, वैसे ही ईरान से भी भारतीय लोगों को लाया जाए।

मौलाना के पास मदद मांगने पहुंच रहे लोग

शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने बताया कि लखनऊ के लोग ईरान में फंसे हैं। उनके घरवाले मेरे पास मदद मांगने के लिए आ रहे हैं। वह वहां पर फंसे हुए लोगों से बात कर रहे हैं और उन्हें दिलासा दे रहे हैं।

वहां पर स्थिति ठीक नहीं है। हजारों की तादाद में लोग फंसे हुए हैं। ये खास समय होता है जब बड़ी संख्या में लोग जियारत करने पहुंचते हैं। इसी बीच हमला शुरू हो गया।

ईरान में फंसे लोगों से शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास वीडियो कॉल पर बात करके दिलासा देते हैं। उन्हें समझाते हैं कि यहां से हरसंभव मदद की जाएगी।

होटल के बाहर पड़े हैं लोग

मौलाना ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि ईरान में होटल में ठहरे लोगों का टाइम पूरा हो गया है। उन्हें चेक आउट करना पड़ रहा है। लोग लिमिटेड पैसा और दवाई लेकर गए थे। वह भी खत्म हो रहा है।

लखनऊ समेत पूरे भारत से 1500 छात्र ईरान में हैं। लगभग 800 इराक में हैं। ये सब फंसे हुए हैं।

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