Wednesday, June 25, 2025

son of a court typist in Karauli became a sub-inspector in CISF

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करौली:- इंसान यदि कुछ कर गुजरने की ठान ले, तो एक न एक दिन कठिन से कठिन मंजिल भी आसान हो जाती है. यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है करौली के बेटे रोहित जांगिड़ की कहानी पर. रोहित ने एसएससी सीपीओ परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सब-इंस्पेक्टर बनने का सपना पूरा कर लिया है.

यह सफर रोहित के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था. मंजिल तक पहुंचने के रास्ते में कई ऐसी रुकावटें आईं, जिसने एक समय के लिए उन्हें तोड़कर रख दिया. लेकिन रोहित ने हार नहीं मानी और तीन सालों की कड़ी मेहनत के दम पर अपने सपने को साकार कर दिखाया. जैसे ही रोहित पहली बार वर्दी पहनकर अपने घर पहुंचे, तो उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

कोरोना काल के दौरान शुरू की तैयारी
रोहित लोकल 18 को बताते हैं कि जिस उम्र में लोग तैयारी छोड़ देते हैं, उन्होंने उसी उम्र में तैयारी शुरू की. पहले वह जयपुर में एक प्राइवेट जॉब करते थे. लेकिन कोरोना काल में जब नौकरी छूट गई, तो उन्होंने एसएससी सीपीओ परीक्षा की तैयारी शुरू की और दिन-रात की मेहनत के बाद CISF में सब-इंस्पेक्टर बनने का सपना पूरा किया है. उन्होंने 26 साल की उम्र में इस परीक्षा की तैयारी शुरू की थी.

सेल्फ स्टडी के दम पर हासिल की सफलता 
रोहित ने यह सफलता दूसरे प्रयास में हासिल की है. पहले प्रयास में उन्हें मेडिकल टेस्ट में एक माइनर पॉइंट की वजह से अनफिट कर दिया गया था, जिसके बाद एग्जाम में अंतिम और दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली. उन्होंने यह परीक्षा सेल्फ स्टडी के बल पर पास की. रोहित बताते हैं कि वह सुबह 7 बजे से रात 11 बजे तक पढ़ाई करते थे. इस बीच सिर्फ 1 घंटा रनिंग और दो घंटे खाने के लिए निकालते थे.

कोर्ट में टाइपिस्ट हैं रोहित के पिता
रोहित करौली के एक सामान्य परिवार से आते हैं. उनके पिता प्रहलाद जांगिड़ कोर्ट में टाइपिस्ट हैं और मां गृहिणी हैं. Local 18 से खास बातचीत में रोहित ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया, जब वह पूरी तरह से टूट चुके थे. यह समय था 2022 में पहले प्रयास के दौरान, जब उन्हें मेडिकल टेस्ट में एक छोटी सी दिक्कत के कारण बाहर कर दिया गया. उस समय वह दिल्ली से करौली तक रोते हुए लौटे थे और कई दिनों तक सो नहीं पाए थे.

ग्रेजुएशन में भी दो बार हुए थे फेल 
रोहित ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से मैथ सब्जेक्ट से बीएससी किया है. ग्रेजुएशन के दौरान भी वह दो बार फेल हुए थे. लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से यह साबित किया कि जिंदगी में कोई भी मोड़ ऐसा नहीं होता, जहां से वापस नहीं लौटा जा सकता. उनका यंगस्टर्स से कहना है कि मैंने 26 साल की उम्र में तैयारी शुरू की थी. अगर मैं यहां तक पहुंच सकता हूं, तो हर कोई मेहनत के दम पर कोई भी परीक्षा पास कर सकता है.

बेटे की सफलता पर मां की आंखों से छलक पड़े आंसू
रोहित की मां रजनी जांगिड़ ने बातचीत में बताया कि वह तीन साल तक घर से बाहर नहीं निकला. गर्मी में भी एक छोटे से पंखे के सामने बैठकर पढ़ाई करता था. हमें तो यह भी नहीं पता होता था कि वह कब सोता है और कब उठता है. बेटे की सफलता पर मां की आंखों से आंसू छलक पड़े. वहीं रोहित के पिता ने भावुक होते हुए कहा कि हमें हमारे बेटे की मेहनत और उसकी कामयाबी पर गर्व है.



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