Thursday, June 26, 2025

The popularity of the film increased due to the posters of ‘Ram Teri Ganga Maili’ | ‘राम तेरी गंगा मैली’ के पोस्टर्स से बढ़ी थी कंट्रोवर्सी: वेटेरन जर्नलिस्ट दिलीप ठाकुर बोले- राज कपूर को देनी पड़ी थी सफाई

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3 घंटे पहलेलेखक: किरण जैन

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हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर की बात ही निराली थी। उनकी फिल्मों के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी भी दिलचस्प रही। उनके 100वीं जयंती पर दैनिक भास्कर ने वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म क्रिटिक दिलीप ठाकुर से खास बातचीत की।

दिलीप ठाकुर ने राज कपूर के प्रोफेशनल और पर्सनल जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्सों को शेयर किया। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:

राज कपूर की पत्नी अपने तीनों बेटों के साथ घर छोड़कर चली गई थीं

जब ‘संगम’ 1964 में रिलीज हुई, तो उसके बाद खबरें आईं कि राज कपूर और वैजयंतिमाला के बीच अफेयर है, जो फिल्म की हीरोइन थीं। कृष्णा कपूर, राज कपूर की पत्नी, नाराज हो गईं और मरीन ड्राइव के नटराज होटल में अपने तीनों बेटों के साथ रुकीं। हर किसी की जुबां पर बातें थीं। आखिरकार, राज कपूर ने कृष्णा कपूर से मिलकर मामला सुलझाया। लेकिन यह विवाद लंबा चला और फिल्म ‘संगम’ की पॉपुलैरिटी बढ़ी।

‘मेरा नाम जोकर’ के फ्लॉप होने के बाद राज कपूर डिप्रेशन में चले गए

फिल्म के फ्लॉप होने के शुरुआती दिनों में फाइनेंशियल नुकसान हुआ। राज कपूर की महत्वाकांक्षा थी कि वे ऐसी फिल्म बनाएंगे जो लोगों को प्रभावित करे। उस समय बजट की चर्चा नहीं हुआ करती थी, लेकिन फिल्म का बजट साफ दिखाई देता था। डिप्रेशन में जाना स्वाभाविक था।

उस वक्त के फिल्म निर्माता अधिक इमोशनल होते थे और दिल से फिल्में बनाते थे, पैसों से नहीं। ‘मेरा नाम जोकर’ के फ्लॉप होने के बाद, ‘बॉबी’ का सुझाव दिया गया और इसमें कैरेक्टर पर ज्यादा ध्यान दिया गया। ‘बॉबी’ एक फ्रेश फिल्म साबित हुई।

‘मेरा नाम जोकर’ फ्लॉप हुई या फ्लॉप कर दी गई?

जब ‘मेरा नाम जोकर’ फिल्म 1970 में आई, यह दो इंटरवल वाली फिल्म थी। फिल्म रिलीज हुई, लेकिन पहले ही दिन से लोगों ने आलोचना करना शुरू कर दिया। फिल्म बहुत लंबी है, राज कपूर सटिया गए हैं; ऐसी बातें चलने लगीं। इस बात की भी चर्चा हुई कि फिल्म असल में फ्लॉप हुई या फ्लॉप कर दी गई।

दूसरे वीक से फिल्म की लंबाई कम कर दी गई और 170 मिनट्स की एक इंटरवेल वाली फिल्म रिलीज हुई। फिल्म की चर्चा हुई, फिर मैटिनी शो रिपीट किए गए और फिल्म धीरे-धीरे पॉपुलर हुई। कुछ सालों बाद, फिल्म का सुबह 11 बजे का शो भी शुरू हुआ और यह फिल्म सिनेमा हॉल्स में अपनी लोकप्रियता हासिल करने लगी।

‘राम तेरी गंगा मैली’ के पोस्टर्स से बढ़ी कंट्रोवर्सी

जब ‘राम तेरी गंगा मैली’ की पब्लिसिटी शुरू हुई, तो तीन पोस्टर्स ने मीडिया और दर्शकों का ध्यान खींचा। पहले पोस्टर में एक्ट्रेस मंदाकिनी सफेद साड़ी में झरने के नीचे खड़ी थीं, जो अपने बोल्ड अंदाज के लिए चर्चा में आईं। दूसरे पोस्टर में मंदाकिनी को बच्चे को स्तनपान कराते दिखाया गया, जो उस समय बहुत विवादास्पद माना गया। तीसरे पोस्टर में राज कपूर और मंदाकिनी का लिपलॉक सीन था, जिसने सनसनी मचा दी। इन पोस्टर्स के जरिए फिल्म को लेकर उत्सुकता और विवाद दोनों बढ़े।

इन तीनों पोस्टर्स पर उलट-पुलट चर्चा हुई, क्योंकि फिल्म 1985 की थी और उस समय ऑडियंस की सोच आज की पीढ़ी जैसी एडवांस नहीं थी। लोग सोचने लगे कि क्या ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ जैसी फिल्म में एक्सपोजिव कंटेंट होगा। इससे फिल्म के बारे में कंट्रोवर्सी पैदा हो गई।

फिल्म रिलीज के एक हफ्ते पहले राज कपूर का बयान आया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि फिल्म में ऐसी कोई चीज नहीं है। फिल्म की कहानी एक सामान्य औरत की है, जो गांव में रहकर मुश्किलें झेलती है और जीवन को सरलता से जीती है। यह बयान और साथ में आए बाकी फोटोज ने लोगों की जिज्ञासा बढ़ा दी। फिल्म के बारे में सही बात लोगों के सामने ले आई।

जब राज कपूर ने सड़क पर डांस किया

1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्ट इंडीज को हराकर वर्ल्ड कप जीत लिया था। वो मैच इंग्लैंड में लॉर्ड्स में खेला गया था और पूरा मुंबई शहर रात को11 बजे के बाद एक जश्न के माहौल में डूबा हुआ था। लोग घर से बाहर निकले थे, नाच रहे थे, गा रहे थे।

इसी बीच, राज कपूर किसी पार्टी से अपने घर जा रहे थे। उन्होंने देखा कि भारतीय क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीत लिया है और इस खुशी में पूरा शहर जश्न मना रहा है। उन्होंने अपनी गाड़ी से बाहर निकलकर थोड़ी देर के लिए डांस किया। वे भी जश्न में शामिल हो गए थे।

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इससे जुड़ी खबरें पढ़ें..

शोमैन राज कपूर के 100 साल:फिल्म के लिए नौकर से पैसे उधार मांगे

राज कपूर की फिल्में नहीं चल रही थीं। फ्लॉप फिल्में परेशानी बन सकती हैं ये राज को पता था। उन्होंने पीछे हटने की जगह एक कदम आगे बढ़कर 1948 में खुद का प्रोडक्शन हाउस ‘आरके फिल्म्स’ शुरू कर दिया। पहली फिल्म बनानी शुरू की ‘आग’, खूब पैसे खर्च किए। इतने कि फिल्म पूरी होने तक यूनिट के चाय-नाश्ते के लिए नौकर से उधार लेने की नौबत आ गई। पूरी खबर पढ़ें..

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