Friday, June 27, 2025

Padma Shri awardee Jodhaiya Amma passes away | पद्मश्री से सम्मानित बैगा चित्रकार जोधइया अम्मा का निधन: उमरिया में 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस; लंबे समय से बीमार थीं – Umaria News

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पद्मश्री से सम्मानित जोधइया बैगा का निधन हो गया।

मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध बैगा चित्रकार और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित जोधइया अम्मा का निधन हो गया है। वे उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वाली थीं। रविवार शाम करीब 6 बजे उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में अपने गांव में अंतिम सांस ली।

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जोधइया अम्मा लंबे समय से बीमार थीं। जबलपुर में भी उनका इलाज चला था। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार लोढ़ा गांव में ही किया जाएगा।

बता दें कि जोधइया अम्मा की पेंटिंग विदेशों में भी मशहूर है। उन्हें 22 मार्च, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री और 8 मार्च, 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया था।

अम्मा के दो बेटे थे। बड़े बेटे की अगस्त 2023 और छोटे बेटे की मौत अगस्त 2024 में हो गई थी। परिवार में अब दो बहुएं,दो नाती और तीन नातिन है। एक बेटी है, जिसकी शादी हो गई है।

दो साल पहले मिला था पद्मश्री सम्मान अम्मा की बनाई पेंटिंग विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। उनकी इस प्रसिद्धि के पीछे लंबा संघर्ष था। पति की मौत बाद अम्मा ने बच्चों के लालन पालन के लिए मजदूरी की, फिर जनजातीय कला की बारीकियां सीखकर यह मुकाम हासिल किया था। पढ़िए अम्मा के संघर्ष की कहानी…

14 साल की उम्र में हुई थी शादी जोधइया अम्मा की शादी करीब 14 साल की उम्र में ही हो गई थी। कुछ वर्षों बाद उनके पति की मौत हो गई। उस समय अम्मा गर्भवती थी। दो बेटों के पालन पोषण की जिम्मेदारी उन पर आ गई। इसके लिए अम्मा मजदूरी करने लगी। कुछ महीने बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। उन्होंने पत्थर भी तोड़े। जो काम मिलता उसे कर बच्चों का पालन करने लगी। करीब 15 साल पहले वे आशीष स्वामी से मिली थी। उन्होंने कहा था कि कब तक आप पत्थर तोड़ेंगी, मजदूरी करेंगी। उनके कहने पर 2008 में चित्रकारी शुरू की थी।

जोधइया अम्मा जनजातीय संस्कृति, कला व परंपराओं पर आधारित चित्रकला के लिए मशहूर थीं।

2008 में शुरू की थी चित्रकारी

जोधइया अम्मा का चित्रकारी का सफर 2008 में जनगण तस्वीर खाना से शुरू हुआ। अम्मा यहां चित्र बनाने लगी थी। उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित होने लगी। वे शांति निकेतन विश्व भारती विश्वविद्यालय, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, आदिरंग आदि के कार्यक्रमों में शामिल हुईं। जनजातीय कला के लिए उन्हें कई मंचाें से सम्मानित किया गया। भोपाल में स्थित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में जोधइया बाई के नाम से एक स्थाई दीवार बनी है। इस पर उनके बनाए हुए चित्र लगे हैं।

जोधइया अम्मा को अपनी कला के लिए कई सम्मान मिले थे।

पेंटिंग में देवलोक की परिकल्पना, पर्यावरण की प्रधानता जोधइया बाई की पेंटिंग के विषय भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शिव और बाघ पर आधारित पेंटिंग प्रमुख हैं। इसमें पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव के महत्व को दिखाया है। बैगा जनजाति की संस्कृति पर बनाई उनकी पेंटिंग विदेशियों को खूब पसंद आती है। बैगा जन जाति की परंपरा पर बनाई उनकी पेंटिंग इटली, फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका व जापान आदि देशों में लग चुकी हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2016 में उमरिया में विंन्ध्य मैकल उत्सव में उन्हें सम्मानित किया था। सीएम जोधइया बाई से मिलने उनके कर्मस्थल लोढ़ा भी गए थे।

बैगा जन जाति की परंपरा पर बनाई जोधइया अम्मा की पेंटिंग कई देशों में लग चुकी हैं।

नारी शक्ति सम्मान भी मिला था जोधइया अम्मा को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2022 में नारी शक्ति सम्मान प्रदान किया था। जोधइया अम्मा ने तब बताया था कि आशीष स्वामी मेरे गुरु हैं। उन्होंने मुझे चित्रकारी सिखाई है। मैं बहुत गरीब परिस्थिति में थी। मजदूरी गारा का काम करती थी। आशीष स्वामी ने मुझे चित्रकारी सिखाई। पहले मिट्टी, फिर कागज, लकड़ी, लौकी और तुरई पर मैंने पेंटिंग की। यह सम्मान में अपने गुरु को समर्पित करती हूं।

जोधइया अम्मा अपने गुरु आशीष स्वामी के साथ।

सीएम बोले- मध्यप्रदेश ने बड़े कलाकार को खो दिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जोधइया अम्मा के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा कि मध्यप्रदेश ने ऐसी कलाकार को खो दिया, जिन्होंने पूरा जीवन जनजातीय संस्कृति, कला व परंपराओं पर आधारित चित्रकला को देश-विदेश में एक पहचान दिलाई। सीएम ने सोशल मीडिया पर ये लिखा-

मंत्री विजय शाह ने जताया दुख जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने भी जोधइया बाई के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा- जोधइया बाई का जीवन संघर्ष, प्रतिभा और समर्पण की मिसाल है। शिक्षा से वंचित होते हुए भी उन्होंने अपने अद्भुत हुनर से बैगा जनजाति की चित्रकला को देश और दुनिया में एक नई पहचान दिलाई। कला जगत में उनका योगदान अद्वितीय था। उन्होंने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी जताया दुख



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