Friday, June 27, 2025

Haryana Ex-CM Om Prakash Chautala Death LIVE Update | Chautala | ओपी चौटाला को आखिरी विदाई आज: सुबह 8 बजे से अंतिम दर्शन; 5 बार हरियाणा के CM रहे, 89 साल की उम्र में निधन हुआ – Sirsa News

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हरियाणा के पूर्व CM ओपी चौटाला का पार्थिव शरीर रात करीब 10 बजे सिरसा में तेजा खेड़ा फार्म हाउस पर पहुंचा था।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला का अंतिम संस्कार आज शनिवार सिरसा के गांव तेजा खेड़ा में बने फार्म हाउस में होगा। सुबह 8 बजे से उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। फिर दोपहर राजकीय सम्मान से अंतिम विदाई दी जाएगी।

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उनका पार्थिव शरीर रात करीब 10 बजे फार्म हाउस पहुंचा था। उनके पार्थिव शरीर के साथ सिर्फ अभय चौटाला थे।

पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे ओपी चौटाला 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 89 साल की उम्र में उनका कल (19 दिसंबर) गुरुग्राम के अस्पताल में निधन हुआ। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। वे पहले से ही दिल और शुगर समेत कई बीमारियों से ग्रस्त थे।

चौटाला के निधन पर हरियाणा सरकार ने 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। आज 21 दिसंबर की छुट्‌टी घोषित की गई है। PM नरेंद्र मोदी ने भी चौटाला के साथ पुरानी फोटो शेयर कर शोक व्यक्त किया।

ओपी चौटाला 5 दिन से 5 साल तक कार्यकाल वाले CM बने

2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने। राज्यसभा सांसद होने की वजह से उन्हें 6 महीने में विधायक बनना जरूरी था। वे महम सीट से उपचुनाव लड़े। मगर वहां हिंसा–बूथ कैप्चरिंग की वजह से विवाद हुआ। इसे महम कांड के नाम से जाना जाता है। उन्हें साढ़े 5 महीने बाद ही इस्तीफा देना पड़ा।

कुछ समय बाद वे दड़बा से चुनाव जीत विधायक बन गए। तब 51 दिन बाद ही बनारसी दास को हटा चौटाला दोबारा सीएम बन गए। मगर तब के प्रधानमंत्री वीपी सिंह इससे नाराज हो गए। मजबूरन चौटाला ने 5 दिन में सीएम कुर्सी छोड़ दी। मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को नया सीएम बनाया गया।

इसी साल 1990 में BJP के राम मंदिर आंदोलन के चलते समर्थन वापसी से प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार गिर गई। चंद्रशेखर नए पीएम बने। देवीलाल को फिर उपप्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने चौटाला को तीसरी बार मुख्यमंत्री बना दिया। मगर, इससे विधायक नाराज हो गए और सरकार गिर गई। चौटाला को 15 दिन में सीएम कुर्सी छोड़नी पड़ी।

1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी ने BJP के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि मतभेदों के चलते 3 साल बाद 1999 में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। तब कांग्रेस ने बंसीलाल को समर्थन देकर सरकार बचा ली लेकिन बंसीलाल ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय की शर्त नहीं मानी। जिसके बाद ओपी चौटाला ने बंसीलाल के विधायक तोड़ दिए और 24 जुलाई 1999 को दोबारा सीएम बन गए।

साल 2000 में ओपी चौटाला बिजली फ्री देने के वादे पर 90 में से 47 सीटें जीत गए। फिर वे 5वीं बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि बाद में वादा पूरा न करने पर किसानों ने विरोध किया। जिसके बाद कंडेला में फायरिंग हुई और 9 किसानों की मौत हुई। इसे कंडेला कांड के नाम से जाना जाता है। हालांकि चौटाला ने सीएम का 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

चौटाला ने जेल में रहकर पढ़ाई की, उन पर फिल्म बनी ओपी चौटाला ने स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। उनका कहना था कि वे अपने पिता से ज्यादा नहीं पढ़ना चाहते थे। हालांकि जब वे टीचर घोटाले में जेल में रहे तो 2017 से 2021 के बीच उन्होंने 10वीं और 12वीं क्लास पास की। इसको लेकर उन पर ‘दसवीं’ फिल्म बनी। जिसमें उनका किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया।

टीचर घोटाले में 10 साल की सजा हुई, 2 साल पहले माफी मिली साल 1999–2000 में चौटाला टीचर भर्ती घोटाले में फंसे। 2004 में CBI जांच के बाद ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला समेत 62 लोगों पर FIR दर्ज हुई। जनवरी 2013 में दिल्ली की स्पेशल CBI कोर्ट ने भ्रष्टाचार का कसूरवार मानते हुए चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को 10 साल कैद की सजा सुनाई। हालांकि केंद्र की 60 साल से ज्यादा उम्र और आधे से ज्यादा कैद काटने के बाद सजा माफी वाले नियम से वे करीब 2 साल पहले ही 2 जुलाई 2021 को जेल से रिहा हो गए।

ओम प्रकाश चौटाला अपने बेटों अजय चौटाला (बाएं) और अभय चौटाला (दाएं) के साथ। उनके दोनों बेटे अब राजनीतिक तौर पर अलग हैं। अभय इनेलो को संभाल रहे हैं। वहीं अजय चौटाला ने उनसे अलग होकर जननायक जनता पार्टी बना ली थी। – फाइल फोटो

चौटाला के जेल जाते ही परिवार में राजनीतिक फूट पड़ी ओपी चौटाला के टीचर घोटाले में जेल जाने के बाद उनके परिवार में फूट पड़ गई। एक तरफ छोटे बेटे ने इनेलो की कमान संभाल ली। वहीं पिता संग जेल गए अजय चौटाला ने विदेश में पढ़ रहे बेटों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को वापस बुला लिया। जिसके बाद अभय और उनके भतीजों में इनेलो को लेकर खींचतान शुरू हो गई। ओपी चौटाला जब 2018 में पैरोल पर बाहर आए तो 7 अक्टूबर को गोहाना रैली में दुष्यंत को सीएम बनाने के नारे लगे। जिससे ओपी खफा हो गए।

इसके बाद इनेलो से बड़े बेटे अजय और उनके दोनों बेटों को निकाल दिया गया। जिन्होंने जननायक जनता पार्टी बना ली। हालांकि इस फूट के बाद इनेलो कभी सत्ता में नहीं आ पाई। जजपा जरूर 2019–24 में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में रही। हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में जजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। इनेलो ने 2 सीटें जीतीं लेकिन अभय चौटाला चुनाव हार गए।



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