Wednesday, July 2, 2025

Hasina accuses Yunus of selling the country to America | हसीना का युनूस पर आरोप- देश अमेरिका को बेच दिया: कहा- सरकार की बागडोर आतंकियों के हाथ में, यूनुस ने उन्हें जेलों से रिहा किया

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ढाका55 मिनट पहले

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर देश को अमेरिका को बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा,

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मेरे पिता अमेरिका की सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर रखी गई मांगों से सहमत नहीं हुए थे। उन्हें उसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मैंने कभी सत्ता में बने रहने के लिए देश बेचने की कल्पना तक नहीं की।

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दरअसल पिछले हफ्ते अमेरिकी सेना की एक टुकड़ी ने बांग्लादेश का दौरा किया था। इस दौरान दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच मुलाकात भी हुई थी। इसके अलावा अमेरिकी सैनिकों ने कॉक्स बाजार के बीच पर बांग्लादेशी सैनिकों के साथ अभ्यास भी किया था।

बांग्लादेश और अमेरिका के सैन्य अधिकारियों के बीच मुलाकात की तस्वीर।

बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के बीच पर मौजूद अमेरिकी सैनिकों की तस्वीर।

हसीना का आरोप देश की कमान आतंकियों को सौंपी

हसीना ने दावा किया कि यूनुस ने सरकार की बागडोर आतंकियों के हाथ में सौंप दी है। पूर्व पीएम ने अपनी पार्टी के फेसबुक अकाउंट पर किए पोस्ट में कहा कि यूनुस ने आतंकियों की मदद से सत्ता पर कब्जा किया है।

हसीना ने दावा किया कि उन्होंने जिन प्रतिबंधित आतंकियों को गिरफ्तार किया था, यूनुस ने उन्हें रिहा कर दिया है। आज जेलें खाली हैं।

बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप मांग रहा था अमेरिका

जून 2021 में बांग्ला अखबारों में दावा किया गया था कि अमेरिका, बांग्लादेश से सेंट मार्टिन द्वीप की मांग कर रहा है। वह यहां मिलिट्री बेस बनाना चाहता है।

इसके बाद बांग्लादेश वर्कर्स पार्टी के अध्यक्ष रशीद खान मेनन ने भी संसद में कहा कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप हासिल करना चाहता है और क्वाड का मेंबर बनने के लिए दबाव बना रहा है।

सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर बांग्लादेश की राजनीति में इतना हंगामा मचा वह सिर्फ 3 वर्ग किमी का एक द्वीप है। म्यांमार से इसकी दूरी सिर्फ 5 मील है। जून 2023 को PM हसीना ने कहा था कि विपक्षी BNP पार्टी अगर सत्ता में आई तो वे सेंट मार्टिन बेच देंगे।

सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिका की नजर क्यों टिकी है?

1971 में अपनी आजादी के बाद बंगाल की खाड़ी से होकर व्यापार करने वाले दुनिया के दो ताकतवर देश अमेरिका और चीन की नजर इस द्वीप पर है। अमेरिका का इस द्वीप में इंट्रेस्ट होने की दो मुख्य वजहें हो सकती हैं…

1. डिफेंस एक्सपर्ट जे.एस. सोढ़ी के मुताबिक 2023 में चीन ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में एक नया बंदरगाह बनाया है। यहां चीनी नौसैनिकों की दो सबमरीन तैनात हैं। यहां से चीन आसानी से अपने लॉजिस्टिक सप्लाई कर रहा है।

2. मलक्का स्ट्रेट से होकर चीन के ज्यादातर व्यापार होते हैं। दुनिया के कुल व्यापार का 50% बंगाल की खाड़ी से होकर दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचता है।

इन दो वजहों से संभव है कि अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए यहां बेस बनाना चाहता हो। संभव है कि साउथ चाइना सी के बाद बंगाल की खाड़ी और प्रशांत, हिंद महासागर में चीन के दबदबे को चुनौती देने के लिए अमेरिका यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता हो।

सेना ने बांग्लादेश में गश्त बढ़ाई

बांग्लादेश में सेना ने देश के अलग-अलग हिस्सों में गश्त बढ़ा दी है। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने पिछले कुछ दिनों में अपने अभियान तेज किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने कई जगहों पर तैनाती भी बढ़ाई है। सैन्य कर्मी बख्तरबंद गाड़ियों के साथ देशभर में सक्रिय नजर आ रहे हैं।

सेना ने मिलकर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए एजेंसियों के साथ पिछले महीने 2 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया।

पिछले साल अगस्त में अपनी तैनाती के बाद से सेना ने अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है।

यूनुस बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार बने रहेंगे

बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। इससे पहले माना जा रहा था कि वो राजनीतिक और सैन्य दबाव के चलते इस्तीफा दे सकते हैं।

मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद प्लानिंग एडवाइजर वाहिदुद्दीन महमूद ने कहा- मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे।

उन्होंने कहा कि हम लोगों को भी नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। न्यूज एजेंसी यूएनबी के मुताबिक सलाहकार परिषद की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी।

वहीं, सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने स्पष्ट रूप से दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनाव को लेकर चर्चा और सड़कों पर संघर्ष की रणनीतियां बन रही हैं।

छात्र संगठन बोले थे- न्याय नहीं मिला तो लोकतंत्र मजाक बन जाएगा

नेशनल सिटिजन पार्टी (NSP), जमात-ए-इस्लामी के स्टूडेंट विंग छात्र शिबिर और वामपंथी छात्र संगठनों ने एकमत होकर कहा है कि जब तक पिछली सरकार के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं की निष्पक्ष जांच नहीं होती, चुनाव का कोई मतलब नहीं।

एनसीपी के छात्र नेता नाहिद इस्लाम का कहना है कि अगर देश के सभी वर्ग इस तरह असहयोग करेंगे तो डॉ. यूनुस इस्तीफा दे देंगे। हमने उनसे अनुरोध किया है कि वे इस्तीफा न दें, लेकिन चुनाव से पहले न्याय जरूरी है।

जुलाई 2024 में अवामी लीग द्वारा किए गए नरसंहार को लेकर छात्र संगठन आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि न्याय के बिना लोकतंत्र मजाक बन जाएगा।

BNP बोली- बिना चुनाव कोई भी सरकार अवैध

पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने डॉ. यूनुस की सरकार से तुरंत चुनाव रोडमैप की मांग की है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि रोडमैप के बिना वर्तमान सरकार का समर्थन संभव नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, बीते सप्ताह BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच 4 बैठकें हुई हैं, जिनमें आंदोलन की रणनीति पर चर्चा हुई। सेना के दबाव में डॉ. यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं।

वहीं चर्चा है कि वे चुनाव कराए बिना राजनीतिक दलों से बातचीत कर फिर से एक राष्ट्रीय सरकार बनाने की कोशिश कर सकते हैं। BNP ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के बिना किसी भी राष्ट्रीय सरकार को वह वैध नहीं मानेगी।

खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की BNP ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा।

अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं।

सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।

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