स्पोर्ट्स डेस्क27 मिनट पहले
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श्रेयस अय्यर की कप्तानी में पंजाब किंग्स ने इतिहास में पहली बार IPL जीत लिया। टीम ने अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को फाइनल हराया। पंजाब 11 साल बाद फाइनल खेल रही थी और टीम ने चौथा फाइनल खेलने वाली RCB के पहले खिताब जीतने के सपने को तोड़ दिया।
पंजाब की जीत में युवाओं और अनकैप्ड इंडियन प्लेयर्स की बैटिंग बहुत अहम रही। तेज गेंदबाजों ने टीम को टूर्नामेंट में बड़े मैच जिताए। वहीं कप्तान श्रेयस अय्यर ने अपनी बेहतरीन लीडरशिप और बैटिंग से 2 साल में 2 अलग-अलग टीमों से IPL खिताब जीतने का रिकॉर्ड बना दिया। उन्होंने 2024 में कोलकाता को चैंपियन बनाया था।
3 पॉइंट्स में पंजाब की टाइटल विनिंग स्ट्रैटजी
1. टीम स्ट्रैटजी
स्लोअर बाउंसर और युवाओं पर भरोसा
18 सीजन में 17 कप्तान बदलने वाली पंजाब किंग्स ने पहली बार किसी टाइटल विनिंग कप्तान को लीडरशिप सौंपी। मेगा ऑक्शन में कप्तान श्रेयस को टीम ने 26.75 करोड़ रुपए में खरीदा। साथ ही युवाओं और अनकैप्ड प्लेयर्स के दम पर मजबूत टीम बनाई। जिन्होंने पूरे सीजन जिम्मेदारी भरी परफॉर्मेंस दी।
प्लेऑफ स्टेज में पंजाब के पेसर्स ने स्लोअर बाउंसर की स्ट्रैटजी का बेहतरीन इस्तेमाल किया। टीम ने क्वालिफायर-2 में मुंबई और फाइनल में बेंगलुरु के खिलाफ अहमदाबाद में इसे अपनाया और दोनों मैच जीत लिए। मुंबई जहां 225 की ओर बढ़ रही थी, बाउंसर के कारण 203 रन ही बना सकी। जिसे पंजाब ने 1 ओवर बाकी रहते हासिल कर लिया। RCB के खिलाफ भी यही स्ट्रैटजी काम आई और टीम ने उन्हें कम स्कोर पर रोक लिया।
- पहला ही IPL खेल रहे 24 साल के प्रियांश आर्या ने ओपनिंग मजबूत की। उन्होंने 2 सेंचुरी और 2 फिफ्टी लगाकर 183 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बनाए।
- रिटेन किए गए 24 साल के प्रभसिमरन सिंह ने प्रियांश का बखूबी साथ दिया। उन्होंने 4 फिफ्टी और 163 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से 500 प्लस रन बना दिए।
- पंजाब से पहला सीजन खेल रहे 24 साल के ही नेहल वाधेरा ने मिडिल ऑर्डर में मजबूती दी। उन्होंने 2 फिफ्टी लगाई और 150 प्लस के स्ट्राइक रेट से 350 से ज्यादा रन बना दिए।
- रिटेन किए गए शशांक सिंह ने फिनिशिंग को स्ट्रॉन्ग बनाया। उन्होंने 161 प्लस के स्ट्राइक रेट से 2 फिफ्टी लगाई और करीब 300 रन बना दिए।
- 29 साल के लेफ्ट आर्म स्पिनर हरप्रीत बरार ने 8 ही मैच खेले, लेकिन उन्होंने महज 8.63 की इकोनॉमी से रन खर्च किए और 10 विकेट झटक लिए। बरार को जितने भी मैचों में मौका मिला, उन्होंने बड़े विकेट ही निकाले।
2. टॉप-5 हीरोज
श्रेयस, अर्शदीप, यानसन, इंग्लिस, चहल
पंजाब के सीनियर प्लेयर्स भी टीम की जीत इस बार चमके। कप्तान श्रेयस ने कप्तानी के साथ अपनी बैटिंग से भी लीड किया। बैटिंग में उन्हें जोश इंग्लिस का साथ मिला। वहीं बॉलिंग अर्शदीप सिंह, मार्को यानसन और युजवेंद्र चहल ने विपक्षी टीमों के बैटर्स को बांध दिया।
- कप्तान श्रेयस कोलकाता का साथ छोड़कर पंजाब का हिस्सा बने। उन्होंने पहले मैच में गुजरात के खिलाफ 97 रन बना दिए। श्रेयस ने फिर क्वालिफायर-2 में मुंबई के महज 41 बॉल पर 87 रन बनाए और टीम को फाइनल में पहुंचा दिया। श्रेयस ने 6 फिफ्टी लगाकर 600 प्लस रन बना दिए। उनका स्ट्राइक रेट भी 175 से ज्यादा का रहा।
- अर्शदीप सिंह ने बॉलिंग अटैक को लीड किया। उन्होंने 17 मैच में 21 विकेट लिए और कई अहम मौकों पर नई गेंद से बड़े विकेट दिलाए। वे टीम के टॉप विकेट टेकर रहे। उन्होंने फाइनल में भी 3 विकेट झटके।
- युजवेंद्र चहल इंजरी के कारण 3 मैच नहीं खेल सके, लेकिन उन्होंने 14 मैचों में 16 विकेट झटक लिए। उन्होंने फाइनल में भी मयंक अग्रवाल का अहम विकेट लिया।
- मार्को यानसन लीग स्टेज के बाद साउथ अफ्रीका लौट गए। उन्होंने 14 मैच में 16 विकेट लिए और टीम को बड़े मैच जिताए। उनके बाद काइल जैमिसन ने जिम्मेदारी संभाली और फाइनल में 3 बड़े विकेट लिए।
- जोश इंग्लिस को शुरुआती मैचों में मौके नहीं मिले, लेकिन मिडिल फेज के बाद वे नंबर-3 पर परमानेंट हो गए। उन्होंने 161 प्लस के स्ट्राइक रेट से 239 रन बनाए। इंग्लिस ने ही मुंबई के खिलाफ टीम को लीग स्टेज का आखिरी और अहम मैच जिताया। इस नतीजे ने टीम को टॉप-2 में फिनिश करवाया।
3. टर्निंग पॉइंट
घर में हारे, बाहर 82% मैच जीते
IPL में होम और अवे सिस्टम इसीलिए रखा जाता है कि टीमें होमग्राउंड पर अपनी स्ट्रेंथ के हिसाब से पिचें बनवाकर मैच जीते। हालांकि, पंजाब ने अपने होमग्राउंड मुल्लांपुर पर ही 5 में से 3 मैच गंवा दिए। टीम ने मुल्लांपुर में ही RCB के खिलाफ क्वालिफायर-1 भी गंवाया था। पंजाब ने सीजन में 5 ही मैच गंवाए, मुल्लांपुर के अलावा 2 हार हैदराबाद और जयपुर में मिली।
पंजाब के चैंपियन बनने की सबसे बड़ी वजह उनका घर से बाहर जीतना भी रही। टीम ने मुल्लांपुर से बाहर 11 मैच खेले और 9 में जीत हासिल की। इनमें अहमदाबाद के मैदान पर क्वालिफायर-2 और फाइनल जीतना भी शामिल रहा। टीम ने नरेंद्र मोदी स्टेडियम में ही जीत से 18वें सीजन में अपनी शुरुआत की थी।
पंजाब ने अहमदाबाद के अलावा लखनऊ, बेंगलुरु, चेन्नई और धर्मशाला में भी मुकाबले जीते। सेकेंड फेज का शेड्यूल जब रिलीज हुआ तो टीम के 3 मैच जयपुर में हुए, टीम ने यहां भी 2 में जीत हासिल कर ली। होमग्राउंड से बाहर 82% मैच जीतना ही पंजाब के चैंपियन बनने की सबसे बड़ी वजह रही।
पंजाब ने मुल्लांपुर में 2 मैच जीते। जिनमें से एक कोलकाता के खिलाफ 111 रन डिफेंड करना भी रहा। इस मुकाबले में श्रेयस की लीडरशिप स्किल उभरकर आई। उन्होंने बैटर्स पर दबाव बनाने के लिए लगातार अटैकिंग फील्ड लगाई, स्लिप और 30 यार्ड सर्किल में ज्यादा फील्डर्स रखे। युजवेंद्र चहल का सही इस्तेमाल किया और कोलकाता को 95 रन पर ही समेट दिया। इस मुकाबले के बाद टीम ने 10 में से 7 मैच जीते और खिताब भी जीत लिया।
पंजाब के टाइटल विनिंग कैंपेन में क्वालिफायर-1 भी बहुत अहम रहा। इस मुकाबले में टीम को अपने ही होमग्राउंड पर बेंगलुरु ने 101 रन पर ऑलआउट कर दिया। RCB ने महज 10 ओवर में मुकाबला जीता और पंजाब को क्वालिफायर-2 खेलने पर मजबूर कर दिया। PBKS ने यहां से कमबैक किया और लगातार 2 मैच में 190 प्लस का टारगेट चेज कर खिताब अपने नाम कर लिया।