‘ईरान में मैं अपने हॉस्टल में सो रही थी। रात को अचानक बिल्डिंग पर बम आकर गिरा। पूरी बिल्डिंग हिल गई। खिड़की से बाहर देखा तो लोग खून से लथपथ चीखते हुए इधर-उधर भाग रहे थे। गाड़ियों में आग लगी हुई थी। हमें पता चला कि इजराइल ने हमला कर दिया है। 2 दिन हॉस्ट
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ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध के बीच ईरान से हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अपने घर लौटीं सानिया जेहर (23) बेहद खुश हैं। वह तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड हेल्थ सर्विसेज से MBBS करने के लिए पिछले साल ईरान गई थीं और वहां सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं।
सानिया ने बताया कि युद्ध में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत 21 जून को वह फ्लाइट से दिल्ली पहुंचीं। ईरान के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर सेक्टर 23 स्थित जीवन नगर पार्ट 2 में सानिया के घर पहुंचा। सानिया ने ईरान की 9 दिन की आंखों देखी बताई।
इस तस्वीर में सानिया जेहर अपने परिवार के साथ है। बाएं से पहले पर सानिया का बड़ा भाई हसन, फिर सानिया, उसके बाद मां और फिर सानिया के पिता मंजर अब्बास खड़े हैं। सानिया के पीछे छोटा भाई अली खड़ा है।
9 दिन ईरान में क्या हुआ, सानिया भारत कैसे लौटी, जानिए…
13 जून की रात सबसे डरावनी थी सानिया बताती हैं, ‘मेरे पिता मंजर अब्बास डाई कास्टिंग कंपनी चलाते हैं। मां हाउस वाइफ है। दोनों भाई हसन और अली दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया से बीटेक कर रहे हैं। हसन का लास्ट ईयर चल रहा है। मैं MBBS की पढ़ाई के लिए पिछले साल ईरान की राजधानी तेहरान गई थी।
अभी मेरा दूसरा साल चल रहा है। 13 जून को युद्ध शुरू होने के बाद हमारा यूनिवर्सिटी जाना बंद हो गया। मेरा यूनिवर्सिटी से कुछ ही दूरी पर हॉस्टल है। जिस समय हमला हुआ मैं कमरे पर ही थी। वह रात मेरी लाइफ की सबसे डरावनी रात थी।
सानिया ने कहा…
पहली बार रात के करीब 3.30 बजे जोरदार धमाके की आवाज आई। इसकी वजह से हॉस्टल की पूरी बिल्डिंग हिल गई।
सानिया कहती हैं कि हमले के बाद हॉस्टल में रह रहीं सभी लड़कियां डर गई थीं।
परिवार को बताते हुए लगा- आखिरी कॉल है सानिया ने बताया कि हॉस्टल की लड़कियों ने मुझे बताया कि हमारी बिल्डिंग पर बम आकर गिरा है। उस समय हॉस्टल में करीब 100 बच्चे थे। हम दौड़ते हुए खिड़की की तरफ गए। बाहर दूर दूर तक आग की लपटें दिखाई दे रही थीं। कहीं गाड़ियां जल रही थीं तो कहीं बिल्डिंगों में आग लगी थी। लोग सड़कों पर यहां-वहां भाग रहे थे। मुझे लगा कि अब कुछ नहीं बचा। सबसे पहले मुझे अपने घर का ख्याल आया।
मैंने तुरंत अपना फोन उठाया और परिवार को कॉल की। जब रिंग जा रही थी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि ये परिवार से मेरी आखिरी कॉल है। मैंने परिवार को हमले के बारे में बताया। वो लोग भी पूरी तरह डरे हुए थे।
इंटरनेट बंद हुआ, परिवार से संपर्क नहीं हो पाया सानिया ने आगे बताया कि उस रात के बाद हर दिन बस यही दुआ करती रही कि किसी तरह अपने देश भारत लौट आऊं। तनाव बढ़ने के कारण वहां इंटरनेट भी बंद हो गया। इसके बाद मेरा परिवार से भी संपर्क नहीं हो पाया। हॉस्टल में रह रही सभी लड़कियां दिन रात रोती थीं। पहले 2 रातें तो हम सभी ने जाग कर काटीं।
15 जून को मैं अपनी दोस्त के साथ ईरान के कोम शहर चली गई। यहां पहुंचकर पता चला कि हमारे हॉस्टल पर फिर हमला हो गया है। कोम में हम अपनी एक दोस्त के घर रुके। तभी भारतीय दूतावास ने वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर जारी हो गया।
सानिया ने कहा-
मैंने अपनी क्लासमेट के साथ मिलकर नंबर पर कॉल कर मदद की गुहार लगाई। इसी दिन दूतावास के अधिकारी कोम में वहां पहुंचे, जहां दूसरे भारतीय छात्रों को रखा गया था।
17 जून तक होटल में रहे, 19 को एयरपोर्ट पहुंचे उन्होंने बताया कि दूतावास की तरफ से वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था। वहीं पर सारे अपडेट आ रहे थे। उन्होंने हमें 17 जून तक एक होटल में रखा। 19 जून को सभी को मशहद एयरपोर्ट पर लेकर आया गया। 20 तक वे एयरपोर्ट पर ही रहे। 21 को वे स्पेशल फ्लाइट से भारत पहुंचे। एयरपोर्ट पर परिवार को देखते ही मैं रो पड़ी। अब खुशी है कि मैं अपने घर लौट आई हूं।
ये तस्वीर 21 जून की है। दिल्ली एयरपोर्ट पर सानिया को लेने के लिए माता-पिता पहुंचे थे।
भारत में मेडिकल कॉलेजों की फीस ज्यादा सानिया का कहना है कि तेहरान यूनिवर्सिटी ने जंग रुकने के बाद हमें दोबारा बुलाने की बात कही है, लेकिन हमारी तो भारत सरकार से अपील है कि NEET की कट ऑफ को कम किया जाए, ताकि ज्यादा स्टूडेंट्स को मेडिकल की पढ़ाई का अवसर मिल सके। मेडिकल कॉलेजों की फीस आम परिवारों के लिए बहुत ज्यादा है, जिस कारण बहुत से छात्र विदेश की यूनिवर्सिटियों की ओर रुख करने को मजबूर हो जाते हैं।
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