Friday, July 4, 2025

China Pakistan Afghanistan CPEC Corridor Deal Update | Taliban | पाकिस्तान से अफगानिस्तान तक सड़क बनाएगा चीन: विदेश मंत्रियों की बैठक में सहमति बनी; अभी शिंजियांग से ग्वादर पोर्ट तक है CPEC प्रोजेक्ट

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बीजिंग19 मिनट पहले

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पाकिस्तान फॉरेन ऑफिस ने आज पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और तालिवान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बैठक की तस्वीर शेयर की।

चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की बुधवार को बीजिंग में हुई बैठक में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का अफगानिस्तान तक विस्तार करने पर सहमति बनी है। पाकिस्तान के फॉरेन ऑफिस (PFO) ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।

चीन के शिंजियांग से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट तक बनने वाला यह कॉरिडोर अफगानिस्तान तक जाएगा। इस कॉरिडोर से चीन की प्लानिंग मिडिल-ईस्ट के देशों से सड़क कनेक्टिविटी बनाना है। CPEC का विस्तार पाकिस्तान से अफगानिस्तान में कहां-कहां होगा, इसकी जानकारी अभी नहीं आई है।

PFO के मुताबिक पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने आज बीजिंग में बैठक की।

बैठक में तीनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग के जरूरी माना। इसके साथ ही डिप्लोमैटिक को आगे बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए ठोक कदम उठाने पर चर्चा की।

क्या है CPEC

चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 2013 में की गई थी। इसमें चीन के शिंजियांग प्रांत से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक 60 बिलियन डॉलर (करीब 5 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है।

इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। CPEC के तहत चीन सड़क, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।

CPEC से चीन को क्या फायदा?

  • इस कॉरिडोर से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी। चीन इम्पोर्ट होने वाला 80% क्रूड ऑयल मलक्का की खाड़ी से शंघाई पहुंचता है।
  • अभी करीब 16 हजार किमी का रास्ता है, लेकिन CPEC से ये दूरी 5 हजार किमी घट जाएगी।
  • इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए चीन अरब सागर और हिंद महासागर में पैठ बनाना चाहता है।
  • ग्वादर पोर्ट पर नेवी ठिकाना होने से चीन अपने बेड़े की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए भी ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा। ग्वादर चीन के नेवी मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

भारत को CPEC से एतराज

  • 50 बिलियन डॉलर की लागत वाला CPEC पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मौजूद ग्वादर पोर्ट और चीन के शिंजियांग को जोड़ेगा।
  • सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान इलाके से भी गुजरता है, जिस पर भारत का दावा है।
  • भारत का मानना है कि CPEC के जरिए चीन विस्तारवाद की नीति पर चल रहा है और भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है।

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