इस्लामाबाद/वॉशिंगटन28 मिनट पहले
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के क्रिप्टो कारोबार की गूंज अब पाकिस्तान पहुंच गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प और उनके परिवार द्वारा समर्थित क्रिप्टो बिजनेस का नया ठिकाना अब पाकिस्तान बनने जा रहा है। इस कंपनी की कमान खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे सलमान शहबाज के हाथों में होगी।
दुबई में बनी एक संदिग्ध ब्लॉकचेन फर्म हाईलैंड सिस्टम्स के जरिए यह सारा नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है। हाईलैंड सिस्टम्स की मदद से पाकिस्तान सरकार ब्लॉकचेन और क्रिप्टो माइनिंग तकनीक विकसित करेगी। कंपनी में ट्रम्प के बेटे एरिक ट्रम्प और पाकिस्तान के टॉप मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर्स भी साझेदार हैं।
दरअसल, ट्रम्प के करीबी निवेशक और क्रिप्टो लॉबी पहले से ही अमेरिका में रेगुलेशन की सख्ती से नाराज हैं। ऐसे में वे ऐसे देशों की तलाश में हैं, जहां नियम ढीले हों और सत्ता से सीधा तालमेल हो। पाकिस्तान इस समय गढ़ बनकर उभरा है।
आर्थिक अस्थिरता और सरकार की अमेरिका के साथ संबंध सुधारने की तत्परता जैसे कारण पाकिस्तान को ट्रम्प के कुनबे के लिए क्रिप्टो हब बनाने के लिए एक आदर्श देश बना रहे हैं। बता दें कि शहबाज सरकार क्रिप्टो को वैध करेंसी के रूप में मान्यता देने की भी योजना बना रही है।
सलमान की कंपनी क्रिप्टाे माइनिंग के लिए बिजली देगी प्रधानमंत्री शहबाज के बेटे सलमान की अगुवाई वाली एसएसई टेक्नोलॉजीज पाकिस्तान की सबसे बड़ी सोलर पैनल इंपोर्टर है। अब ये कंपनी हाईलैंड सिस्टम्स के साथ मिलकर पाकिस्तान में क्रिप्टो माइनिंग नेटवर्क तैयार करेगी।
दरअसल, क्रिप्टो माइनिंग में सबसे ज्यादा खर्च बिजली का होता है। इसी समस्या के समाधान के लिए एसएसई टेक्नोलॉजीज को इस नेटवर्क का अहम भागीदार बनाया गया है।
सूत्रों के अनुसार, कंपनी पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान में सोलर फर्म स्थापित करेगी, जिनकी बिजली से माइनिंग ऑपरेशंस को चलाया जाएगा। पाकिस्तान क्रिप्टो अपनाने के मामले में अभी दुनिया में नौवें नंबर पर है। अमेरिका से क्रिप्टो ब्लॉकचेन और माइनिंग तकनीक विकसित करने को लेकर हुई डील के बाद इसमें और बढ़त के आसार हैं।
डील वाली कंपनी में ट्रम्प कुनबे की 60% हिस्सेदारी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) ने शहबाज सरकार द्वारा गठित पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PKK) से डील की है। WLF में ट्रम्प कुनबे की 60% हिस्सेदारी है। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के कुछ महीने पहले ही यह कंपनी लॉन्च हुई थी।
WLF ने मार्च में यूएसडी1 नामक स्टेबलकॉइन लॉन्च किया, जो 18 हजार करोड़ के मार्केट कैप तक पहुंच गया है। WLF में ट्रम्प खुद चीफ क्रिप्टो एडवोकेट हैं। उनके बेटे एरिक भी शीर्ष पोस्ट पर हैं। इसके अलावा ट्रम्प परिवार की कंपनियों के पास ट्रम्प मीमकॉइन का 80% हिस्सा भी है, जिसकी वर्थ एक लाख करोड़ तक पहुंच चुकी है।
ट्रम्प की पत्नी मेलानिया भी अलग मीमकॉइन लॉन्च कर चुकी हैं। उन्होंने ने ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद जनवरी में एक क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च की थी।वहीं, बेटे एरिक, दामाद जेरेड कुश्नर ने भी क्रिप्टो में बड़ा निवेश है। ट्रम्प कुनबे का क्रिप्टो में दांव अब उनके अचल संपत्तियों का बड़ा हिस्सा हो गया है।
80 लाख रुपए से ज्यादा एक बिटकॉइन की कीमत अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में भारी भरकम उछाल देखने को मिला था। बिटकॉइन की कीमत में 30% से ज्यादा की तेजी आई है। भारतीय रुपए में एक बिटकॉइन की कीमत 80 लाख रुपए से ज्यादा पहुंच गई है।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास
- 1983 में सबसे पहले अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविड चाम ने ई-कैश (ecash) नाम से क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी बनाई थी।
- 1995 में डिजिकैश के जरिए इसे लागू किया गया।
- इस पहली क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी को किसी बैंक से नोटों के रूप में विड्रॉल करने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता थी।
- यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एनक्रिप्टेड था। सॉफ्टवेयर के जरिए क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक मनी प्राप्त करने वाले को एनक्रिप्टेड-की यानी खास प्रकार की चाभी दी जाती थी।
- इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैसा जारी करने वाला बैंक, सरकार या अन्य थर्ड पार्टी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं कर पाते थे।
- 1996 में अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी एजेंसी ने क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम के बारे में बताने वाला एक पेपर पब्लिश किया।
- 2009 में सातोशी नाकामोतो नाम के वर्चुअल निर्माता ने बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनाई। इसके बाद ही क्रिप्टोकरेंसी को दुनियाभर में लोकप्रियता मिली
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