Monday, June 30, 2025

एक सूट के लिए 85,33,82,00,000 रुपये! इतने पैसों से तो पाकिस्तान की गरीबी खत्म हो जाए

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नई द‍िल्‍ली. भारतीय वायुसेना (IAF) के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom Space के चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जाने की तैयारी कर रहे हैं. यह मिशन 8 जून को लॉन्च होने वाला है. शुक्ला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे जो NASA और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के संयुक्त प्रयास के तहत ISS पर जाएंगे. वे 1984 के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री भी बनेंगे. 1984 में राकेश शर्मा रूस के Soyuz अंतरिक्ष यान पर सवार होकर अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने थे. IAF के इस पायलट को ISRO के गगनयान मिशन, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, ज‍िसके लिए उन्‍हें चुना गया है. उन्हें मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया था. उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, Jaguar, Hawk, Dornier और An-32 सहित विभिन्न विमानों पर 2,000 उड़ान घंटे का अनुभव है.

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लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि अंतरिक्ष यात्रियों को जो खास सूट पहनाया जाता है, उसे बनवाने में क‍ितना खर्च आता है?  इसकी कीमत सुनकर आप हैरान हो सकते हैं. दरअसल, इसे बनाने के ल‍िए जो कीमत लगती है, वह इतनी ज्‍यादा है क‍ि उस रकम को अगर पाक‍िस्‍तान को दे द‍िया जाए तो वहां की गरीबी खत्‍म हो सकती है.

स्‍पेससूट की कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, NASA के स्पेससूट्स की कीमत 10 मिलियन से 22 मिलियन डॉलर के बीच हो सकती है, यह मॉडल और फीचर्स पर निर्भर करता है. इन सूट्स का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष के कठोर वातावरण से अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा करना है.

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फिलहाल, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) नया xEMU सूट विकसित कर रहा है, जिसकी कीमत लगभग 1 बिलियन डॉलर (करीब 8,355 करोड़ रुपये) बताई जा रही है. यह कीमत सूट में इस्तेमाल की गई उन्नत तकनीक के कारण है, जो लंबी मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन की गई है.

एक उदाहरण के रूप में, 1974 में अपोलो मिशनों के दौरान इस्तेमाल किए गए स्पेससूट्स की कीमत 15 मिलियन से 22 मिलियन डॉलर के बीच थी. अगर इसे आज की मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजित किया जाए, तो यह लगभग 83 मिलियन से 122 मिलियन डॉलर के बराबर है.

क्‍यों है इतना खास 
अंतरिक्ष सूट की एक खास बात ये है कि यह अंतरिक्ष यात्रियों को अत्यधिक गर्म और ठंडे हालातों में सुरक्षित रखता है. ये -150°C से +120°C तक के तापमान में काम कर सकता है. इसके अलावा, ये सूट अंतरिक्ष यात्रियों को हानिकारक विकिरण और छोटे-छोटे अंतरिक्ष मलबे से भी बचाता है. सुरक्षा के साथ-साथ, अंतरिक्ष सूट में ऑक्सीजन की आपूर्ति, तापमान नियंत्रण और कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने की प्रणाली भी होती है. इन सभी सुविधाओं के लिए उन्नत सामग्री और विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है, इसलिए ये सूट इतने महंगे होते हैं. यह सूट अंतरिक्ष के निर्वात और सूर्य तथा अन्य खगोलीय पिंडों से आने वाले हानिकारक विकिरण से भी बचाता है.

इन सुविधाओं को प्रदान करने के लिए विशेष सामग्री और उन्नत तकनीक की आवश्यकता होती है, जो सूट की लागत को बढ़ा देती है. इसमें बिल्ट-इन कंप्यूटर, एयर कंडीशनिंग, ऑक्सीजन की आपूर्ति, पीने का पानी और यहां तक कि एक अंतर्निर्मित शौचालय भी शामिल होता है. इसके अलावा, इन अंतरिक्ष सूटों में ऑक्सीजन के लिए बैकअप सिस्टम भी होते हैं. यह एक पंखे की प्रणाली का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड को भी हटाता है. सूट अंतरिक्ष यात्रियों को सूर्य की हानिकारक किरणों, अत्यधिक ठंड और अंतरिक्ष में अचानक तापमान परिवर्तन से भी बचाता है.



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