Tuesday, July 1, 2025

China is the biggest country in debt recovery | कर्ज वसूली में चीन सबसे बड़ा देश: BRI के कर्ज जाल में 150 देश; गरीब देशों पर 94 लाख करोड़ बकाया

- Advertisement -


बीजिंग7 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

चीन दुनिया में सबसे बड़ा ऋण वसूलने वाला देश बन गया है। ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट के अनुसार 2025 में विकासशील देशों से चीन रिकॉर्ड 3 लाख करोड़ रु. वसूलेगा। 1.9 लाख करोड़ तो 75 सबसे गरीब देश देंगे।

विकासशील देशों पर चीन के कुल 94 लाख करोड़ रु. बकाया हैं। ये कर्ज एक दशक पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत दिए थे। चीनी दबाव के चलते इन देशों में स्वास्थ्य और शिक्षा बजट पर खतरा मंडरा रहा है।

46 गरीब देशों ने 2023 में अपने टैक्स का 20% हिस्सा कर्ज चुकाने पर खर्च किया। विकासशील देश चीन को कर्ज अदायगी और ब्याज भुगतान की लहर से जूझ रहे हैं।

आइए, जानते हैं कि चीन के कर्ज का दुष्चक्र देशों पर कैसे भारी पड़ रहा है…

42 देश अपनी जीडीपी से 10% ज्यादा चीनी कर्ज से दबे हुए हैं

चीन की आक्रामक कर्ज रणनीति BRI से शुरू हुई। 2013 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसे लाए। 150 देश इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं। ये देश वैश्विक जीडीपी का 40% हिस्सा हैं। 42 देशों पर चीनी कर्ज का बोझ उनकी जीडीपी के 10% से अधिक है।

2017 में चीन विश्व बैंक व आईएमएफ को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे बड़ा ऋणदाता बना। 80% सरकारी कर्ज विकासशील विकासशील देशों को गए। 55% कर्ज रि पेमेंट चरण में। 2030 तक 75% होंगे।

टॉप-10 में दो देश कर्ज चुकाने में नाकाम रहे, 8 पर भी जोखिम मंडरा रहा

2022 तक 60% चीनी कर्ज वित्तीय संकट वाले देशों को गया। 2010 में यह आंकड़ा 5% था। ब्याज 4.2% से 6% तक है। जबकि, ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट की दर 1.1% है। ऊंचे ब्याज से कई देशों को ऋण चुकाने में दिक्कतें होती हैं।

देश

कर्ज (करोड़ रुपए में) स्थिति
पाकिस्तान

2.27 लाख

ऋण पुनर्गठन
अंगोला 1.79 लाख ऋण पुनर्गठन

श्रीलंका

76 हजार

डिफॉल्ट
इथियोपिया

58 हजार

जोखिम
केन्या

57 हजार

जोखिम

बांग्लादेश

52 हजार

जोखिम
जाम्बिया

52 हजार

डिफॉल्ट
लाओस

45 हजार

वित्तीय तनाव

मिस्र

44 हजार जोखिम

नाइजीरिया

36 हजार

जोखिम

वर्ल्ड बैंक से भी कर्ज छिपा रखा है

50% से गरीब और कमजोर देश उच्च जोखिम में हैं या पहले से फंसे हैं। 53 देशों का चीन सबसे बड़ा कर्जदाता। 33 लाख करोड़ का कर्ज वर्ल्ड बैंक से भी छिपा।

पाकिस्तान-

2024 में चीन ने 17 हजार करोड़ रु. के ऋण की परिपक्वता बढ़ाई। यह ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया में है।

अंगोला- मार्च 2024 में चीन के साथ मासिक भुगतान कम करने पर सहमति बनी।

श्रीलंका- 2022 में डिफॉल्ट कर चुका है। इसके चलते अपना हंबनटोटा पोर्ट 99 साल की लीज पर चीन को देना पड़ा।

जाम्बिया- 2020 में डिफॉल्ट हो चुका है। ऋण पुनर्गठन की बातचीत जारी है। चीन इस देश का प्रमुख कर्जदाता है।

लाओस- यह देश वित्तीय तनाव में है। उसका कर्ज जीडीपी के 100% को पार कर चुका है। इसमें बड़ा हिस्सा चीन का है।

मदद के बजाय छोटे देशों को कर्ज, बदले में संपत्तियां भी गिरवी

1. मदद नहीं कर्जः बाजार दर पर ऋण देता है, विकास मदद नहीं। 2017 तक चीनी कर्ज का 12% ही विकास फंड था। ऊंचे ब्याज के साथ कम ग्रेस पीरियड और त्वरित भुगतान शर्तें भी रहती हैं।

2. संपत्ति गिरवी रखनाः कर्ज के बदले प्राकृतिक संसाधन या संपत्तियां गिरवी रखता है। वेनेजुएला, अंगोला जैसे देशों में ऐसा किया। देश विकास के बजाय संसाधनों से चीनी कर्ज चुकाते रहते हैं।

3. अघोषित कर्जः ऋण सरकारी कंपनियों, स्पेशल परपज व्हीकल व संयुक्त उपक्रमों को देता है। गारंटी सरकारी होती है। देशों ने अपने जीडीपी के 5.8% के बराबर चीनी देनदारी रिपोर्ट ही नहीं कर रखी।

4. गैर-पारदर्शिताः बीआरआई के 35% प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार, शोषण जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे। चीन अपना फायदा ही देखता है। स्थानीय स्तर पर सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता होती है।

5. रणनीतिक पकड़ः उन देशों को प्राथमिकता, जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं या जहां लोकतंत्र कमजोर है। इससे भौगोलिक प्रभाव क्षेत्र विस्तार करता है।

खबरें और भी हैं…



Source link

आपकी राय

क्या नवरात्र में मीट की दुकानों को बंद करने का फैसला सही है?

View Results

Loading ... Loading ...

Latest news

- Advertisement -

SHARE MARKET LIVE

GOLD PRICE


Gold price by GoldBroker.com

SILVER PRICE


Silver price by GoldBroker.com

Related news

- Advertisement -