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- US Faces First Major Brain Drain In 80 Years | Scientists Flee Due To Trump’s Research Cuts
वॉशिंगटन डीसी41 मिनट पहले
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अमेरिका के सुपरपावर होने के पीछे उसके वैज्ञानिकों और रिसर्च को बड़ी वजह माना जाता रहा है।
अमेरिका दशकों तक वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिभा का स्वर्ग माना जाता रहा है। लेकिन अब यह अपनी चमक खो रहा है। 80 वर्षों में पहली बार देश एक ऐसे ‘ब्रेन ड्रेन’ का सामना कर रहा है।
इससे न सिर्फ उसकी वैश्विक हैसियत को चुनौती मिल रही है, बल्कि इनोवेशन के इंजन को भी झटका लग रहा है।
हाल ही में अमेरिकन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस द्वारा कराए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि 75% वैज्ञानिक अमेरिका छोड़कर यूरोप और एशिया में नई जमीन तलाश रहे हैं, या पलायन कर चुके हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कठोर नीतियां जैसे रिसर्च फंडिंग में कटौती, प्रवासी छात्रों पर रोक और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमले इस ब्रेन ड्रेन के पीछे की बड़ी वजहें हैं।
ट्रम्प के रिसर्च में कटौती के फैसलों के खिलाफ अमेरिका के कई राज्यों में प्रदर्शन भी हुए हैं।
फंडिंग में कटौती से रिसर्च की रीढ़ टूटी
ट्रम्प प्रशासन ने नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के ग्रांट्स में 2026 के लिए 40% की कटौती की है। इसके अलावा नेशनल साइंस फाउंडेशन से 13 हजार करोड़ रुपए के अनुदान रद्द करने की बात कही है। फंडिंग में कटौती से वैज्ञानिकों को प्रोजेक्ट्स बंद होने का डर सता रहा है।
2015 तक जहां अमेरिका में हर वर्ष 60 हजार से ज्यादा विदेशी शोधकर्ता आते थे। वहीं, 2024 में यह संख्या घटकर 23,000 पर आ गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल यह आंकड़ा और घटकर 15 हजार से भी कम होने वाला है।
दुनिया भर के देश अपने यहां तरह-तरह के ऑफर दे रहे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्लाइमेट साइंस, जेनेटिक्स व न्यूरोसाइंस जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे वैज्ञानिकों को अब दुनिया भर के देश अपने यहां आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के ऑफर दे रहे हैं। इसने वैश्विक स्तर पर एक नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है।
यूरोपीय संघ ने तीन वर्षों में पांच हजार करोड़ यूरो का निवेश करने की घोषणा की है ताकि यूरोप को शोधकर्ताओं के लिए आकर्षक बनाया जा सके।
फ्रांस के मार्सेल विवि ने वैज्ञानिकों को शरण देने को सेफ प्लेस फॉर साइंस कार्यक्रम शुरू किया है। कनाडा ने वैज्ञानिकों को आकर्षित करने को 200 करोड़ का निवेश किया है।
जर्मनी ने भी इन्हें आकर्षित करने की योजना बनाई है। सिंगापुर की ननयांग टेक्नोलॉजिकल विवि अमेरिकी शोधकर्ताओं को ऑफर दे रही है।
अमेरिकियों ने 400 से ज्यादा नोबेल जीते, इनमें से एक तिहाई प्रवासी
अमेरिका लंबे समय से अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) का लीडर रहा है। 1960 के दशक में संघीय सरकार का आर एंड डी का सालाना बजट पांच लाख करोड़ रु. था, जो 2024 में 13 लाख करोड़ हुआ।
निजी क्षेत्र के साथ मिलकर 2024 में यह आंकड़ा 77 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इस निवेश ने अमेरिका को 400 से अधिक नोबेल पुरस्कार दिलाए, जिनमें से एक-तिहाई से अधिक प्रवासियों ने जीते हैं।
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