इस्लामाबाद5 मिनट पहले
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पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का ठिकाना नहीं पता है। अगर भारत यह जानकारी दे कि अजहर पाकिस्तान में हैं, तो पाकिस्तान उसे गिरफ्तार करने में खुशी होगी।
मसूद अजहर भारत में 2001 के संसद हमले, 26/11 मुंबई हमले, 2016 के पठानकोट हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे आतंकी हमलों में शामिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने उसे 2019 में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था।
अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में बिलावल ने कहा- लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद आजाद नहीं हैं। यह गलत है कि हाफिज सईद आजाद हैं, वह पाकिस्तानी हिरासत में हैं।
मसूद अजहर को 2019 में ग्लोबल आतंकी घोषित किया जा चुका है।
बिलावल बोले- मसूद अजहर शायद अफगानिस्तान में हो सकता है
बिलावल ने आगे कहा- मसूद अजहर के बारे में हमें नहीं पता कि वह कहां है। हमें लगता है कि वह शायद अफगानिस्तान में हो सकता है। अगर भारत सरकार हमें जानकारी दे कि अजहर पाकिस्तान में है, तो हम उसे गिरफ्तार करने को तैयार हैं। लेकिन भारत ऐसा नहीं कर रहा।”
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद रोकने के लिए देश एक-दूसरे से जानकारी शेयर करते हैं। हमने लंदन, न्यूयॉर्क और पाकिस्तान में हमलों को रोकने के लिए ऐसा किया है। अगर मसूद अजहर अफगानिस्तान में है, तो वहां नाटो भी उसे पकड़ नहीं पाया। पाकिस्तान के लिए वहां जाकर यह करना मुमकिन नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया था अजहर का परिवार
बिलावल का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दो महीने पहले भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 सहयोगी मारे गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मसूद अजहर ने इसके बाद बयान जारी कर कहा था कि मैं भी मर जाता तो खुशनसीब होता। मरने वालों में उसकी बड़ी बहन और उसका पति, मसूद अजहर का भतीजा और उसकी पत्नी, मसूद की एक भतीजी और उसके पांच बच्चे शामिल थे।
बयान में यह भी कहा गया है कि आतंकी मसूद के तीन करीबी सहयोगी भी मारे गए थे। इनके अलावा एक सहयोगी की मां की मौत भी हुई थी।
भारत ने 7 मई को पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
अजहर संसद हमले का मास्टरमाइंड है
अजहर 2001 के संसद हमले का मास्टरमाइंड है। इसके अलावा वो 2016 में हुए पठानकोट हमले में भी शामिल था। इस मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, मसूद ने भारत पर हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद के कैडर का इस्तेमाल किया था। उसने 2005 में अयोध्या में राम जन्मभूमि और 2019 में पुलवामा में CRPF के जवानों पर भी हमला करवाया था।
इसके अलावा मसूद 2016 में उरी हमले और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में भारतीय कॉन्सुलेट पर अटैक का भी जिम्मेदार है। अजहर अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन और तालिबान फाउंडर मुल्ला उमर का खास था।
1994 में पहली बार भारत आया था मसूद अजहर
मसूद अजहर पहली बार 29 जनवरी, 1994 को बांग्लादेश से विमान में सवार होकर ढाका से दिल्ली पहुंचा था। 1994 में अजहर फर्जी पहचान बनाकर श्रीनगर में दाखिल हुआ था। उसका मकसद हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत-उल-मुजाहिदीन गुटों के बीच तनाव कम करना था।
इस बीच भारत ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया था। तब अजहर ने कहा था- कश्मीर को आजाद कराने के लिए 12 देशों से इस्लाम के सैनिक आए हैं। हम आपकी कार्बाइन का जवाब रॉकेट लॉन्चर से देंगे।
इसके 4 साल बाद जुलाई 1995 में जम्मू-कश्मीर में 6 विदेशी टूरिस्ट्स को अगवा कर लिया गया। किडनैपर्स ने टूरिस्ट के बदले समूद अजहर को रिहा करने की मांग की। इस बीच अगस्त में दो टूरिस्ट किडनैपर्स की कैद से भागने में कामयाब हो गए। हालांकि, बाकियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
1999 में विमान हाईजैक के बाद भारत सरकार ने अजहर को छोड़ा
तस्वीर 1999 की है, जब आतंकी भारत के एक विमान को हाईजैक करके अफगानिस्तान ले गए थे।
24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रहे एक भारतीय विमान को अजहर के भाई सहित दूसरे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। वो इसे अफगानिस्तान के कंधार ले गए, जहां उस वक्त तालिबान का शासन था। विमान में कैद लोगों के बदले मसूद अजहर सहित 3 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई।
आतंकियों की मांग पूरी हुई और मसूद आजाद हो गया। इसके बाद वह पाकिस्तान भाग गया। चीनी सरकार UNSC में मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित होने से कई बार बचा चुकी है। 2009 में अजहर को वैश्विक आतंकी की लिस्ट में शामिल करने के लिए पहली बार प्रस्ताव आया था। तब लगातार 4 बार चीन ने सबूतों की कमी का हवाला देकर प्रस्ताव पास नहीं होने दिया।
2019 में वैश्विक आतंकी घोषित हुआ
अक्टूबर 2016 में चीन ने भारत के प्रस्ताव के खिलाफ जाकर UNSC में अजहर को बचा लिया था। इसके बाद 2017 में अमेरिका ने UNSC में अजहर को आतंकी घोषित करने की मांग उठाई, लेकिन चीन फिर से बीच में आ गया था। आखिरकार, मई में चीन ने अड़ंगा हटा लिया था और UNSC ने 2019 में मसूद अजहर को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कर दिया।