Tuesday, July 1, 2025

NASA astronaut Sunita Williams undertakes another spacewalk | सुनीता विलियम्स ने नौवीं बार स्पेसवॉक किया: 5.5 घंटे तक स्पेस स्टेशन के बाहर रहीं; रिचर्स के लिए सूक्ष्मजीवों के सैंपल लिए, टूटा एंटीना हटाया

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वॉशिंगटनकुछ ही क्षण पहले

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सुनीता विलियम्स ISS के बाहर रोबोटिक आर्म की मदद से रेडियो कॉम्यूनिकेशन हार्डवेयर को हटा रही हैं।

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गुरुवार शाम भारतीय समय के मुताबिक 6 बजकर 30 मिनट से स्पेसवॉक शुरू किया। इस दौरान उनके साथ एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर भी थे।

करीब 5.5 घंटे तक चलने वाली इस स्पेसवॉक के दौरान दोनों ISS के बाहरी हिस्से को साफ किया और सूक्ष्मजीव प्रयोग के लिए नमूने लिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे पता चलेगा कि ISS पर सूक्ष्मजीव जीवित हैं या नहीं। इसके अलावा ISS से टूटा हुआ एंटीना भी अलग किया।

सुनीता विलियम्स का यह 9वां स्पेसवॉक था। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के 60 घंटे और 21 मिनट को रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सबसे ज्यादा समय तक स्पेसवॉक करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। वे अब तक अंतरिक्ष में कुल 62 घंटे 6 मिनट की स्पेसवॉक कर चुकी है। बुच विल्मोर का यह पांचवां स्पेसवॉक है।

इंटरनेशनल स्पेस सेंटर के बाहर सुनीता विलियम्स।

सुनीता ने 15 दिन में दूसरी बार स्पेसवॉक किया

सुनीता विलियम्स का यह 15 दिन के भीतर दूसरा स्पेसवॉक है। उन्होंने 16 जनवरी को एस्ट्रोनॉट निक हेग के साथ साढ़े 6 घंटे तक स्पेसवॉक किया था। इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को 23 जनवरी को स्पेसवॉक करना था लेकिन उनकी तैयारी के लिए इस दिन को 7 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया।

NASA ने कहा कि अगर वहां सूक्ष्मजीव मिलते हैं तो प्रयोग से समझने में मदद मिलेगी कि वे अंतरिक्ष के वातावरण में कैसे जीवित रह पाते हैं और कैसे प्रजनन करते हैं। यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि वे अंतरिक्ष में कितनी दूर तक यात्रा कर सकते हैं। यह भी जांच की जाएगी कि ये सूक्ष्मजीव चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रह पर जीवित रह पाएंगे या नहीं।

16 जनवरी को स्पेसवॉक के दौरान न्यूट्रॉन स्टार इंटीरियर कंपोजिशन एक्सप्लोरर (NICER) एक्स-रे टेलीस्कोप की मरम्मत करते हुए सुनीता विलियम्स और निक हेग।

सुनीता विलियम्स के 8 दिन का सफर 10 महीने में बदला सुनीता विलियम्स करीब 8 महीने से अंतरिक्ष में हैं। वे पिछले साल 5 जून को बुच विल्मोर के साथ ISS पर पहुंची थीं। उन्हें एक सप्ताह के बाद लौटना था। दोनों बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल के टेस्ट के लिए गए थे, लेकिन इसमें खराबी आने के बाद दोनों ISS पर ही रुक गए। इसके बाद से दोनों वहीं फंसे हुए हैं।

नासा ने सुनीता और बुच विल्मोर को फरवरी 2025 में इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से वापस लाने की जानकारी दी थी। लेकिन अब उनके लौटने में और ज्यादा वक्त लग सकता है। नासा ने पिछले महीने कहा था कि उन्हें मार्च 2025 के अंत का इंतजार करना होगा। यह तारीख अप्रैल की शुरुआत तक भी बढ़ सकती है।

नासा के मुताबिक सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से वापस लाने के लिए स्पेसएक्स को नया कैप्सूल बनाना है। इसे बनाने में स्पेसएक्स को वक्त लगेगा, जिस वजह से मिशन में देरी होगी। यह काम मार्च के अंत तक पूरा किया जा सकता है। इसके बाद ही स्पेस में फंसे एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाया जा सकेगा।

इलॉन मस्क अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स को वापस लाएंगे अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पेस एक्स के CEO इलॉन मस्क से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर को वापस लाने का काम सौंपा है। दोनों वैज्ञानिक पिछले साल जून से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं।

ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा- मैंने मस्क से उन दो ‘बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों’ को वापस लाने को कहा है। इन्हें बाइडेन प्रशासन ने अंतरिक्ष में छोड़ दिया है। वे अंतरिक्ष स्टेशन पर कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं। मस्क जल्द ही इस काम में लग जाएंगे। उम्मीद है कि सभी सुरक्षित होंगे।

मस्क ने इसके जवाब में कहा कि हम ऐसा ही करेंगे। यह भयानक है कि बाइडेन प्रशासन ने उन्हें इतने लंबे वक्त तक वहां छोड़ रखा है। जबकि नासा ने अपने क्रू-मिशन के तहत दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने के लिए स्पेसएक्स को कई महीने पहले ही शामिल कर लिया था।

6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।

सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था? सुनीता और बुश विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।

लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।

एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।

सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए? स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।

NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।

लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पाए।

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