नई दिल्ली13 मिनट पहले
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केंद्र सरकार ने 1 जनवरी से भारत में बनने वाले एंट्री लेवल टू-व्हीलर में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) अनिवार्य कर दिया है। इसमें इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर भी शामिल हैं। ये फीचर अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी को फिसलने से रोकता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि, ऑटोमैकर्स को L2 कैटेगरी के टू-व्हीलर्स में ABS देना होगा। पहले ये नियम 125cc इंजन और इससे ज्यादा कैपेसिटी वाले टू-व्हीलर्स के लिए जरूरी था।
हालांकि, 50cc मोटर और 50kmph से कम की टॉप स्पीड वाले EV को छूट दी गई है। यही नहीं, हर टू-व्हीलर के साथ डीलर को दो BIS-सर्टिफाइड हेलमेट (एक राइडर और एक पीछे बैठने वाले के लिए) भी देने होंगे।
सरकार के ABS अनिवार्य करने का उद्देश्य मोटरसाइकिल और स्कूटर से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना है। देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में टू-व्हीलर सवारों की मौत होने की संख्या लगातार बढ़ रही है।
क्या है ये ABS और क्यों है जरूरी?
- एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो अचानक ब्रेक लगाने पर बाइक या स्कूटर के पहियों को लॉक होने से रोकती है।
- मान लो आप तेज रफ्तार में है और अचानक सामने कोई व्यक्ति या गाड़ी आ जाए। अगर आप एकदम तेज ब्रेक मारता है, तो बिना ABS वाली बाइक का पहिया लॉक हो सकता है, जिससे बाइक स्लिप हो सकती है और हादसा हो सकता है।
- ABS इस स्थिति में ब्रेक को बार-बार ऑन-ऑफ करता है, ताकि पहिया लॉक न हो और आप बाइक को कंट्रोल कर सके। स्टडीज के मुताबिक, ABS हादसों की संभावना को 35-45% तक कम कर सकता है। खासकर बारिश में या फिसलन वाली सड़कों पर ये टेक्नोलॉजी जान बचा सकती है।
- वर्तमान में छोटी बाइक्स (100cc-125cc) में ज्यादातर कॉम्बी-ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) होता है, जो दोनों ब्रेक्स को एक साथ यूज करता है, लेकिन ये ABS जितना असरदार नहीं है। नया नियम के मुताबिक, बाइक चाहे 100cc की हो या 500cc की, हर नए टू-व्हीलर में ABS होगा चाहिए।
₹10 हजार तक महंगे होंगे, डिमांड भी 4% तक घटेगी
एक्सपर्ट के मुताबिक, नए नियम से 125cc से छोटे इंजन वाले टू-व्हीलर्स की लागत 3 से 10 हजार रुपए तक बढ़ सकती है। क्योंकि, मैन्युफैक्चरर्स को ड्रम ब्रेक की जगह डिस्क ब्रेक लगाने होंगे।
प्राइमस पार्टनर्स के उपाध्यक्ष निखिल ढाका के मुताबिक, ABS अनिवार्य करने से कंपनियों को प्रोडक्ट डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग, दोनों में बड़े बदलाव होंगे। इससे इन गाड़ियों की कीमत 10 हजार रुपए तक बढ़ सकती है।
इसका मतलब ड्रम ब्रेक को डिस्क ब्रेक से बदलना, असेंबली लाइनों पर टूलिंग को अपडेट करना। साथ ही टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन के नए दौर से गुजरना है। नोमुरा इंडिया का अनुमान है कि ABS के चलते कीमतें बढ़ने की वजह से एंट्री लेवल मॉडल की डिमांड 2 से 4% तक घट सकती है।