ढाका1 घंटे पहले
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स्वतंत्र रोहिंग्या स्टेट भारत के लिए एक नई जियो-पॉलिटिकल चुनौती होगी।
बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं ढाका में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के नेताओं के साथ बैठक में म्यांमार के रोहिंग्या बहुल इलाके में एक आजाद रोहिंग्या राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा था।
जमात के नेताओं ने यह प्रस्ताव 27 अप्रैल को दिया था। एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है तो इससे भारत के सित्तवे पोर्ट को खतरा हो सकता है।
बांग्लादेशी नेताओं की तरफ से यह प्रस्ताव ऐसे वक्त पर आया है जब म्यांमार के बॉर्डर इलाकों में चरमपंथी गुट अराकान आर्मी का कंट्रोल बढ़ रहा है, जिसकी वजह से बढ़ीं संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।
जमात नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने कहा, “चीन इस मामले में सबसे बड़ा रोल निभा सकता है क्योंकि उसका म्यांमार के साथ अच्छा रिश्ता है।”
रोहिंग्याओं के संघर्ष से जुड़ी तस्वीरें देखें…
2017 के बाद बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश चले गए थे।
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के एक शिविर में खाने के लिए संघर्ष करते रोहिंग्या शरणार्थी।
बांग्लादेश की सीमा पर रोहिंग्या शरणार्थी को रोकती सुरक्षाकर्मी।
एक्सपर्ट- स्वतंत्र रोहिंग्या स्टेट भारत के सित्तवे पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए खतरा
भारत का कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) सित्तवे पोर्ट के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह प्रोजेक्ट म्यांमार के सित्तवे पोर्ट को भारत-म्यांमार सीमा से जोड़ती है। राखाइन में बढ़ते संघर्ष ने इस प्रोजेक्ट के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्वतंत्र रोहिंग्या स्टेट का कोई भी प्रस्ताव अस्थिरता को और बढ़ाएगा, जिससे भारत के रणनीतिक लॉजिस्टिक कॉरिडोर को परेशानी हो सकती है। भारत में फिलहाल 20 हजार रोहिंग्या रहते है।
चीन अगर जमात-ए-इस्लामी के इस प्रस्ताव को अगर सपोर्ट करता, तो यह भारत के लिए एक नई जियो-पॉलिटिकल चुनौती होगी। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक स्वतंत्र रोहिंग्या राज्य का बनना बहुत मुश्किल है।
बांग्लादेश विदेश सलाहकार- रोहिंग्या बांग्लादेश पर बोझ
वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने रोहिंग्याओं को बांग्लादेश के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा- इस परेशानी का अभी तक कोई हल नहीं निकला गया है। यह हमारे लिए लंबे वक्त से बोझ बना हुआ है।
अराकान आर्मी ने म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) और तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) के साथ मिलकर पिछले साल अक्टूबर में ‘ऑपरेशन 1027’ शुरू किया था, और कई सैन्य ठिकानों और कस्बों पर कब्जा कर लिया।
हाल के महीनों में, अराकान आर्मी ने राखाइन राज्य के 80% से ज्यादा हिस्से पर कंट्रोल का दावा किया है। म्यांमार के सैन्य जुंटा को इस इलाके में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस बढ़ते संघर्ष की वजह से बड़ी संख्या में रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।
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