Friday, July 4, 2025

IndiGo pilot contacted Pakistan amid turbulence | इंडिगो पायलट ने टर्बुलेंस में पाकिस्तान को कॉन्टैक्ट किया था: एयरस्पेस इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी​​​​​​​, परमिशन नहीं मिलने पर श्रीनगर में इमरजेंसी लैंडिंग की

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नई दिल्ली/मुंबई7 मिनट पहले

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दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 2142 बुधवार को ओलावृष्टि के कारण भीषण टर्बुलेंस (हवा में झटकों) की चपेट में आ गई थी। इस दौरान पायलट ने पाकिस्तान से उसका एयरस्पेस इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी थी। हालांकि, पाकिस्तान ने मना कर दिया।

न्यूज एजेंसी PTI को सूत्रों ने बताया कि इंडिगो फ्लाइट जब अमृतसर के ऊपर से गुजर रही थी, तब पायलट ने हल्का टर्बुलेंस महसूस किया। उन्होंने लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से कॉन्टैक्ट किया और खराब मौसम से बचने के लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस में घुसने की परमिशन मांगी।

लाहौर ATC ने पायलट को साफ मना कर दिया, जिसके कारण फ्लाइट को अपने तय रूट पर आगे बढ़ना पड़ा। आगे जाकर फ्लाइट को गंभीर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। पायलट ने श्रीनगर में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग कराई। लैंडिग के बाद देखा गया किफ्लाइट के आगे का हिस्सा (नोज कोन) टूट गया था।

फ्लाइट में 227 लोग सवार थे। तेज झटकों के कारण लोग चीखने-चिल्लाने लगे थे। सोशल मीडिया पर टर्बुलेंस ​​​​​​के दौरान फ्लाइट के भीतर के कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग अपनी जान के लिए प्रार्थना करते नजर आ रहे हैं। बच्चों के रोने की आवाजें भी आ रही हैं।

फ्लाइट में सवार कई पैसेंजर्स ने टर्बुलेंस के दौरान वीडियो बनाया था, जिसमें लोग चीखते सुने गए।

फ्लाइट में सवार TMC सांसद बोलीं- मौत को करीब से देखा यात्रियों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 5 नेताओं का डेलिगेशन भी सफर कर रहा था। इनमें शामिल TMC सांसद सागरिका घोष ने बताया, ‘मुझे लग रहा था कि मौत करीब है। जिंदगी खत्म हो गई है। लोग चीख रहे थे, प्रार्थना कर रहे थे। उस पायलट को सलाम जिसने हम सबकी जान बचाई।’

घटना के बाद इंडिगो ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया, ‘फ्लाइट 6E 2142 को रास्ते में अचानक ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा था। फ्लाइट और केबिन क्रू ने प्रोटोकॉल का पालन किया और फ्लाइट की श्रीनगर में सुरक्षित लैंडिंग कराई गई। एयरपोर्ट टीम ने यात्रियों की भलाई और आराम को प्राथमिकता देते हुए उनकी देखभाल की।’

यात्री ने कहा- हमें लगा यह जीवन की अंतिम फ्लाइट होगी न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, फ्लाइट में सवार एक यात्री ने बताया कि श्रीनगर में लैंडिंग से करीब 20-30 मिनट पहले सीट बेल्ट बांधने का अनाउंसमेंट हुआ। तब हल्के झटके लग रहे थे। अनाउंसमेंट के दो से तीन मिनट के भीतर ही फ्लाइट इतनी तेजी से हिलने-डुलने लगा कि सभी को लगा कि यह हमारी अंतिम फ्लाइट होगी।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि तेज झटकों की वजह से फ्लाइट के केबिन में रखा सामान गिरने लगा था। यात्रियों की चीखों के बीच क्रू ने सीट बेल्ट लगाने का ऐलान किया। कुछ देर में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग हुई, तब जाकर यात्रियों ने राहत की सांस ली। फ्लाइट से उतरकर लोगों ने देखा कि नोज कोन टूटा हुआ है। ऐसी स्थिति में भी सेफ लैंडिंग कराने पर पायलट की तारीफ हो रही है।

फ्लाइट की नोज डैमेज हो गई, 3 फोटोज…

क्या होता है टर्बुलेंस? विमान में टर्बुलेंस या हलचल का मतलब होता है- हवा के उस बहाव में बाधा पहुंचना, जो विमान को उड़ने में मदद करती है। ऐसा होने पर विमान हिलने लगता है और अनियमित वर्टिकल मोशन में चला जाता है यानी अपने नियमित रास्ते से हट जाता है। इसी को टर्बुलेंस कहते हैं। कई बार टर्बुलेंस से अचानक ही विमान ऊंचाई से कुछ फीट नीचे आने लगता है।

यही वजह है कि टर्बुलेंस की वजह से विमान में सवार यात्रियों को ऐसा लगता है, जैसे विमान गिरने वाला है। टर्बुलेंस में प्लेन का उड़ना कुछ हद तक वैसा ही है, जैसे-उबाड़-खाबड़ सड़क पर कार चलाना। कुछ टर्बुलेंस हल्के होते हैं, जबकि कुछ गंभीर होते हैं।

किसी भी प्लेन को स्थिर तौर पर उड़ने के लिए जरूरी है कि इसके विंग के ऊपर और नीचे से बहने वाली हवा नियमित हो। कई बार मौसम या अन्य कारणों से हवा के बहाव में अनियमितता आ जाती है, इससे एयर पॉकेट्स बन जाते हैं और इसी वजह से टर्बुलेंस होता है।

टर्बुलेंस तीव्रता के लिहाज से तीन तरह के होते हैं

  • हल्के टर्बुलेंस: इसमें प्लेन 1 मीटर तक ऊपर-नीचे होता है। यात्रियों को पता भी नहीं चलता।
  • मध्यम टर्बुलेंस: इसमें जहाज 3-6 मीटर तक ऊपर-नीचे होते हैं। इससे ड्रिंक गिर सकता है।
  • गंभीर टर्बुलेंस: इसमें जहाज 30 मीटर तक ऊपर-नीचे होते हैं। सीट बेल्ट न लगाए रहने पर पैसेंजर उछलकर गिर सकते हैं।

क्या टर्बुलेंस की वजह से प्लेन क्रैश हो सकता है?

  • आधुनिक टेक्नीक के बेहतर होने से टर्बुलेंस की वजह से प्लेन क्रैश होने की आशंका काफी कम हो गई है, लेकिन टर्बुलेंस से प्लेन क्रैश की आशंका रहती है। 1960 के दशक में दुनिया में हुए कुछ विमान हादसे टर्बुलेंस की वजह से ही हुए थे।
  • 1994 में अमेरिका में US एयर फ्लाइट 1016 आंधी-तूफान की वजह से पैदा हुए टर्बुलेंस के कारण लैंडिंग के समय क्रैश हो गई थी। इस हादसे में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
  • 1999 में अमेरिकी एयरलाइन फ्लाइट 1420 आंधी-तूफान की वजह से पैदा टर्बुलेंस के बाद लैंडिंग के समय एयरपोर्ट पर रनवे से आगे निकलकर क्रैश हो गई थी। इस हादसे में विमान में सवार 145 में से 11 लोगों की मौत हुई थी।
  • 2001 में वेक टर्बुलेंस की वजह से अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 587 टेकऑफ के थोड़ी देर बाद क्रैश हो गई थी, जिससे इसमें सवार सभी 260 लोगों की मौत हो गई थी।
  • आधुनिक प्लेन इस तरह बनाए जाते हैं कि वे हर तरह के टर्बुलेंस झेल सकें। पायलट को भी इससे निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।

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अगर आपने हवाई जहाज में यात्रा की है तो एयर टर्बुलेंस से भलीभांति वाकिफ होंगे। एयर ट्रैवल के दौरान जमीन से हजारों फीट की ऊंचाई पर हवा में हम वैसे भी काफी वलनरेबल होते हैं, लेकिन ऐसे में अगर कोई मुश्किल आए तो शरीर और दिमाग का रिएक्शन काफी तीव्र हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें…

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