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सूरत ने एक नई पहल की शुरुआत की है. शहर ने भारत का पहला सोलर स्मार्ट बस स्टैंड लॉन्च किया है. इस बस स्टैंड में वाई-फाई और मोबाइल चार्जिंग की सुविधाएं उपलब्ध हैं. यं कदम सूरत को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में एक …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- सूरत में पहला सोलर स्मार्ट बस स्टैंड लॉन्च हुआ.
- बस स्टैंड में वाई-फाई और चार्जिंग सुविधाएं उपलब्ध.
- सोलर बस डिपो सालाना 1 लाख यूनिट बिजली बनाएगा.
नई दिल्ली. बुधवार को सूरत ने भारत का पहला सोलर-पावर्ड स्मार्ट बस स्टेशन लॉन्च किया. सूरत नगर निगम (SMC) ने इसे विकसित किया है. इस इलेक्ट्रिक बस डिपो को अलथान में बनाया गया है और इसे बनाने में 1.60 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस हाई-टेक सुविधा में 100 kW की रूफटॉप सोलर पावर प्लांट और 224 kWh बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) है. इसे जर्मन विकास एजेंसी GIZ (Deutsche Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit) के सहयोग से डिजाइन किया गया है. ये स्टेशन 24×7 ग्रीन चार्जिंग सपोर्ट देता है, जो सोलर एनर्जी और रीयूज की गई सेकंड-लाइफ बैटरियों के जरिए होता है.
हाईटेक है बस स्टैंड
इसके अलावा, स्टेशन पर मुफ्त वाई-फाई, बसों के लिए लाइटिंग और चार्जिंग पॉइंट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिससे यात्रियों का अनुभव बेहतर होता है. एसएमसी के लाइट और एनर्जी एफिशिएंसी सेल के कार्यकारी इंजीनियर प्रकाश पंड्या के अनुसार सोलर पावर प्लांट दिन में ऊर्जा बचाता करता है, जिसे फिर सेकंड-लाइफ बैटरियों में स्टोर किया जाता है और रात में इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए उपयोग किया जाता है. इस तरीके से न केवल स्थानीय बिजली ग्रिड पर दबाव कम होता है, बल्कि सार्वजनिक परिवहन में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलता है.
इसके अलावा, स्टेशन पर मुफ्त वाई-फाई, बसों के लिए लाइटिंग और चार्जिंग पॉइंट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिससे यात्रियों का अनुभव बेहतर होता है. एसएमसी के लाइट और एनर्जी एफिशिएंसी सेल के कार्यकारी इंजीनियर प्रकाश पंड्या के अनुसार सोलर पावर प्लांट दिन में ऊर्जा बचाता करता है, जिसे फिर सेकंड-लाइफ बैटरियों में स्टोर किया जाता है और रात में इलेक्ट्रिक बसों को चार्ज करने के लिए उपयोग किया जाता है. इस तरीके से न केवल स्थानीय बिजली ग्रिड पर दबाव कम होता है, बल्कि सार्वजनिक परिवहन में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिलता है.
साल में 1 लाख यूनिट बिजली
अनुमानों के अनुसार, सोलर बस डिपो सालाना लगभग 1 लाख यूनिट बिजली बनाएगा, जिससे ऊर्जा लागत में लगभग ₹6.65 लाख की बचत होगी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भारत में नेट-जीरो ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने और स्थायी परिवहन समाधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
इस परियोजना को एडवांस तकनीक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का मिश्रण बताया जा रहा है. ये पहल बैटरियों के रीयूज और साफ ऊर्जा के उपयोग में एक स्टैंडर्ड स्थापित करती है. ये केवल बुनियादी ढांचे के बारे में नहीं है, ये सार्वजनिक परिवहन को हरित, कुशल और भविष्य के लिए तैयार बनाने का एक दीर्घकालिक प्रयास है.